मेरे खयाल से लिखे गए शब्द उस हीरे की तरहा है जो कभी मिटाए नही जा सकते । किसी ने खूब कहा है कि बचपन में हम पेंसिल से इस लिए लिखते थे ताकि गलती होने पर उसे मिटाया जा सके । बड़े होने पर पेन पकड़ा कर जिंदगी को बताया जाता है की अब बड़े हो गए हो ओर जो भी गलती होगी उसे अब भुलाया नही जा सकता तो काफी सोच समझ कर चलना ही ठीक होगा । #trending #toolwebsite #blog #internet etc
Wednesday, January 25, 2023
Tuesday motivation quotes ।
Best motivational quotes:-
1. हार तो वो सबक है
जो आप को बेहतर होने का सबक देती है ।
जो खिलाड़ी खिलाड़ी बेहतरीन होते है ।
दर्द सब के एक से है पर हौसले अलग अलग है ।
कोई हताश होके बिखर जाता है ।
तो कोई संघर्ष कर के निखर जाता है ।
3. इतिहास लिखने के लिए कलाम की नही
होसलो की जरूरत होती है ।
4. जितना बड़ा सपना होगा ।
उतनी बड़ी तकलीफे होगी ।
और जितनी बड़ी तकलीफे होगी ।
उतनी बड़ी कामयाबी होगी ।
Sunday, January 22, 2023
Best Sites to Download Hindi songs ।। हिंदी सॉन्ग डाउनलोड साइट
Spotify: One of the most popular music streaming services, Spotify offers a vast library of songs and podcasts. It also has a feature that allows users to download songs for offline listening.
SoundCloud: A platform for independent artists and rising stars, SoundCloud offers a unique blend of new and established music. Users can download tracks for free, but some songs may require a paid subscription.
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Saturday, January 21, 2023
Income tax Savings: -अगर आपने पर्सनल लोन (Personal Loan) के पैसे से ज्वेलरी खरीदी है, नॉन रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदी है या फिर शेयर (Stocks) में निवेश किया है तो आपको इस पर भी टैक्स छूट मिल सकती है
Income Tax Savings:- नौकरीपेशा इनकम टैक्स बचाने के लिए अलग-अलग स्कीम में निवेश करता है. फिर भी टैक्स का बोझ कम नहीं होता. इस मामले में सबसे ज्यादा काम आने वाला चीज होम लोन होता है. लेकिन, अगर आप का होम लोन नहीं है तो कौन सी चीज आपकी टैक्स बचाने में मदद कर सकते हैं?
होम लोन (Home loan) और एजुकेशन लोन (Education loan) पर इनकम टैक्स की छूट (Income tax deduction) का फायदा मिलता है, लेकिन ज्यादातर लोग ये नहीं जानते कि पर्सनल लोन (Personal Loan) पर भी इनकम टैक्स छूट (Income Tax Deduction) का फायदा मिल सकता है ! लेकिन कुछ ही परिस्थितियों में ही पर्सनल लोन पर टैक्स छूट का फायदा लिया जा सकता है.
पर्सनल लोन पर टैक्स छूट के 3 तरीके:-
सीधे तौर पर Income Tax Act में पर्सनल लोन Deduction को लेकर कोई प्रावधान नहीं है. लेकिन, इसका मतलब ये नहीं कि पर्सनल लोन (Personal loan) पर टैक्स छूट नहीं ले सकते.
अगर आपके पास भी पर्सनल लोन है और इसका इस्तेमाल आपने बिजनेस, रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी के कंस्ट्रक्शन या खरीदारी में किया है या फिर कुछ ऐसी संपत्तियां खरीदी हैं, जो टैक्स छूट के दायरे में आती हैं तो पर्सनल लोन पर भी टैक्स छूट का फायदा ले सकते हैं.
बिजनेस में निवेश किया है निवेश
पर्सनल लोन (Personal Loan) के पैसे का निवेश बिजनेस में किया गया हो तो ब्याज को आप खर्च के तौर पर दिखा सकते हैं और इसके लिए क्लेम ले सकते हैं. इससे आपकी टैक्स देनदारी घट जाएगी साथ ही बिजनेस का मुनाफा भी बढ़ जाएगा. सबसे अच्छी बात ये है कि इसे लेकर कोई कैप नहीं है यानि आप कितना भी इंटरेस्ट खर्च के तौर पर दिखाकर क्लेम कर सकते हैं.
घर की मरम्मत पर खर्च में छूट:-
होम लोन (Home loan) पर दो तरह से टैक्स बेनेफिट मिलता है, एक तो ब्याज पर दूसरा प्रिंसिपल पर. अगर आपने पर्सनल लोन लेकर घर की मरम्मत करवाई है या फिर रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदी है तो आप टैक्स बेनेफिट ले सकते हैं. आप इनकम टैक्स के सेक्शन 24 के तहत ब्याज पर टैक्स बेनेफिट ले सकते हैं. अगर आप उस घर में रहते हैं तो 2 लाख रुपए तक टैक्स छूट पा सकते हैं, अगर घर को किराए पर दिया हुआ है तो कितना भी टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं, इसकी कोई सीमा नहीं है.
संपत्ति खरीदने पर छूट:-
अगर आपने पर्सनल लोन (Personal Loan) के पैसे से ज्वेलरी खरीदी है, नॉन रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदी है या फिर शेयर (Stocks) में निवेश किया है तो आपको इस पर भी टैक्स छूट मिल सकती है. हालांकि, इस पर छूट उस साल नहीं ली जा सकती है, जिस साल ब्याज चुकाया गया, उसे टैक्स बेनेफिट उस साल मिलेगा जब वो उस एसेट को बेचेगा.
ध्यान देने वाली बात:-
यहां एक बात ध्यान देने वाली है कि टैक्स छूट सिर्फ ब्याज पर मिलेगा न कि प्रिंसिपल अमाउंट पर. दूसरी बात ये कि अगर पर्सनल लोन का पैसा ऊपर दिए गए तीन असेट्स के अलावा कहीं और निवेश किया गया तो उसमें टैक्स का फायदा नहीं मिलेगा.
Friday, January 20, 2023
ध्यान (MEDITATION) गुस्सा आए तो ये ध्यान रखना
ये कहानी है छोटी सी बच्ची की जिसको बहुत गुस्सा आता था बात बात पर गुस्सा आता था जब उसको गुस्सा आता था तो वह यह नहीं देखती थी कि उसके सामने कौन है. उसके मन में आता था वो सब बोल देती थी कई बार तो कुछ चीजें उठाती और जमीन पर फेक देती उसके मां बाप बहुत परेशान हो गए उनको समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उन्होंने बहुत कोशिश करी उस बच्ची को समझाने की अलग अलग तरीके से लेकिन बच्ची समझ नहीं रही थी फिर एक दिन उसकी मां ने उसके ट्यूशन टीचर से बात करी क्योंकि ट्यूशन टीचर . जिसकी कि वह बात सुनती थी. उसकी टीचर ने उसकी मां की सारी बातों को सुना और उनको बोला कि आप चिंता मत करो आने वाले कुछ दिनों के अंदर अंदर ही इस बच्ची का गुस्सा पूरी तरीके से खत्म हो जाएगा उसकी मां को समझ नहीं आया लेकिन फिर भी उन्होंने कहा कि कोशिश करने में क्या जाता है फिर उस दिन रोज की तरह उसकी टीचर ने उस बच्ची से कहा कि आज हम पढ़ाई नहीं करेंगे. आज हमें गेम खेलेंगे तो बची सुनकर बहुत खुश हुई टीचर उस बच्ची के साथ में उस घर के पीछे एक दीवार के पास में जाकर के खड़ी हो गई और टीचर ने उस बच्ची को कहा कि गेम यह है कि अब जब भी तुम्हें गुस्सा आए तो एक किल लेनी है और यहां पर आकर के दीवार में गाड़ देना है । जितनी हो सके. फिर उस बच्ची ने टीचर से पूछा लेकिन इससे क्या होगा. तो टीचर ने कहा कि जब यह गेम खत्म हो जायेगी तो तुम्हें इनमें प्राइज मिलेगा फिर उस बच्चे ने बिल्कुल वैसा ही किया जैसा कि उस टीचर ने कहा था यानी कि अब उसको जब भी गुस्सा आता तो वह जाति और जाकर के एक कील उस दीवार में गाड़ देती तो जैसा कि उस लडकी को बहुत गुस्सा आता था तो पहले ही दिन वहां पर दस से ज्यादा कीले लग गई
लेकिन उसको कील लगाने के लिए उसको बार बार पीछे जाना पड़ता और जाकर के उस कील को गाड़ना पड़ता तो उसके दिमाग में आया कि जितनी मेहनत में लगाती उस कील को गड़ने में उससे कम मेहनत में में अपने गुस्से को कंट्रोल कर सकते हु
अगले दिन आठ कीले लगी उसके अगले दिन फिर चार फिर तीन फिर दो फिर एक फिर ऐसा भी दिन आया जब एक भी बार उसको गुस्सा नहीं आया और एक भी कील. दीवार में नहीं लगी और बच्ची बहुत खुश हो गई. खुशी खुशी वो अपनी टीचर के पास में गई और जाकर के उनको बताया कि देखो मैं आज मैंने एक भी कील उस दीवार में नहीं गाड़ी है
क्योंकि मेरे को एक बार भी गुस्सा नहीं आया तो मैंने उसको थोड़ी सी शाबाशी दी और मैं उसके साथ में उस दीवार के सामने जाकर के खड़ी हो गई. उस बच्ची को कहा कि गेम अभी खत्म नहीं हुई. अब तुम्हें क्या करना है कि जिस दिन तुम को बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आता है उस दिन एक कील को दीवार से निकाल देना. तो बच्ची ने वैसा ही किया लेकिन क्योंकि कीलें बहुत ज्यादा थी तो एक महीने से भी ज्यादा टाइम लग गया उन सारी किलो को बाहर निकालने में लेकिन एक दिन ऐसा भी आया जब सारी कीले उस दीवार से बाहर निकल गई.
फिर बच्ची बहुत ही खुश होकर के अपने टीचर के पास में गई और जाकर के बोला कि अब उस दीवार में एक भी कील नहीं है. तो उसकी टीचर उस बच्ची के साथ उस दीवार के सामने जाकर के खड़ी हुई उसने देखा कि एक भी कील नहीं है दिवार में फिर उसको उसकी टीचर ने एक चॉकलेट गिफ्ट करें और बोला कि तुम इस प्राइस को जीत गई हो. बच्ची बहुत ही खुश हो गई. फिर टीचर उस बच्ची से पूछा कि क्या तुमको दीवार में कुछ नजर आ रहा है तो बच्ची ने कहा कीले नहीं है इसमें तो कुछ भी नहीं सारी कीले निकल चुकी है. तो बोली एक बात ध्यान से देखो शायद कुछ नजर आए तो उस बच्ची ने दुबारा देखा और कहा जो कीले मैने गाड़ी थी उसके कुछ निशान मुझे नजर आ रहे दिवार पर जब बच्ची ने देख लिया फिर उसकी मां ने उस बच्ची को कहा जैसे तुमने इस दीवार में कील गाड़ी और अब तुम उसके निकाली सकती हो लेकिन उसके निशान को नहीं मिटा सकती ठीक इसी तरह से. होता है जब तुम गुस्सा करती हैं. जब तुम गुस्सा करती को अपने माँ बाप या किसी पर भी तो उनके दिल पर चोट लगती है उनको दर्द होता है और वहां पर एक निशान रह जाता है उस निशान को तुम कहाँ करके भी हटा नहीं सकते फिर चाहे तुम उनसे जितना मर्जी माफी मांग लो यह सुनकर बच्ची को अपनी गलती का एहसास हुआ वो रोने लगी और भागते हुए गई और अपनी मां के पास में जाकर के उनसे गले लग गई और अपनी मां को बोली कि. में आज के बाद कभी गुस्सा नहीं करूंगी मुझे समझ आ गया मैंने क्या गलती करी और उस दिन के बाद उस बच्ची ने कभी गुस्सा नहीं किया.
वो अनाथ बच्चा जो बना 22 लाख करोड़ की कंपनी का मालिक _ Inspiring Story of Louis Vuitton ।।
ज़िंदगी को सुनाना और हालात पर थोपना आसान होगा हम दुनिया में ज्यादातर लोग यही कहते हैं. लेकिन इसी दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो हालात को आगे नही बल्कि हालात को अपने आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर देता है
यह एक ऐसे बच्चे की कहानी जिसने अपने दम पर खडे कर दिये बाईस लाख करोड़ की कंपनी जी हां. बाईस लाख करोड़ रुपये तो चलिए शुरू करते हैं. लो जी हां आज भविष्य के बारे में बात करेंगे यह कंपनी भी है हर इंसान और इंसान जिसने अपने दम पर खड़े कि वो कंपनी जिसकी वैल्यू आज तीस बिलियन डॉलर यानी बाईस लाख करोड़ से भी ज्यादा है लेकिन बाईस लाख करोड़ की कंपनी की नीव रखने वाले इंसान के पास बचपन में अपने साथ रखने के लिए अच्छा. नहीं थी ।
दोस्त. लोग कामयाब लोग देखते हैं तो उनकी शोहरत बुलंदी और मरकाम को देखते हैं. लेकिन उस मुकाम तक पहुंचने के लिए वो जिन जिन मुश्किलों से गुज़रता उनके बारे में बहुत कम जानते. आज मैं आपको लूई वीटॉन की कहानी बताने जा रहा और जो आपने आज तक नहीं सुनी होगी चलिए वक्त में थोड़ा पीछे सोच यह बात है उन्नीसवीं शताब्दी के लिए जब एक बच्चा जिसके पास रहने के लिए नाथन था ना खाना खाना उसके पास कुछ था ।
तो सिर्फ एक सपना सपना कामयाबी का सपना शोहरत की बुलंदी गया. अब जिंदा रहने के लिए खाना चाहिए और खाने के लिए पैसे पैसे कमाने के लिए लोई कारीगरों और आर्टिस्टों के साथ काम किया करता था. उसमें पैसे तो सिर्फ नहीं मिलते थे कि वह दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो सके. लेकिन होना उसे वहां वो मिला जिसकी बदौलत उसमें आज एक बिलियन डॉलर की कंपनी खड़ी बचपन ले. जॉन का जन्म चार अगस्त अट्ठारह सौ इक्कीस को फ्रांस की आंच आई कि गरीब परिवार में हुआ उनके पिता किसानी करते थे और मां हथियार टोपियां बनाते थे. ।
ये वो वक्त था जब फ्रांस नेपोलियन के जंगलों की वजह से नुकसान से वाला था लड़ाइयों की वजह से सभी किसानों की हालत खराब हो चुकी थी और वर्तमान परिवार विनिमय से था इसलिए लोई को बचपन से अपने पिता के साथ मजदूरी करने पड़ते थे वो सुबह से शाम तक खेत पर काम करता था जानवर चरा डाटा लकड़ी इकट्ठा करता था ये सब चीजें कोई खास परेशानी. रही थी क्योंकि असली मुसीबत तो अभी आनी बाकी थी जब वह इस दस साल के हुए तो उनके बाद जब उनके पिता ने दूसरी शादी कर लें अब इसे आप उनकी बदकिस्मत बदकिस्मती के हो या खुशकिस्मती पर उनकी सौतेली मां ऐसी थी जैसे आप पिक्चरों में गलन देखते ही को रहा तो सही से खाना देते थे और आए चैन से रह रहे होते थे और लोई कि जिन. जिंदगी को नर्क बना दिया था. ।
लुई ने यह सब कुछ वक्त तक तो सा लेकिन जब सारी हदें पार हो गई रुपए रहा साल की उम्र में वह घर छोड़कर पैसा आ गए. वह पैरिस तो पहुंच गए लेकिन उनके पास आप अखाड़ा था भाई पैसे लेकिन उनके तो वहाँ उन पर थोड़ी मेहरबान हुए और उन्हें एक आर्टिस्ट और कारीगरों के पास नौकरी मिल गई जहां पर उन्होंने मैटल पत्थर फैब्रिक और लकड़ी का काम से क्या इस नौकरी से उन्हें सिर्फ इतने पैसे मिलते थे कि वह अपना पेट भर सके लेकिन रहने के लिए उनके पास छत नहीं. थी वह अपनी रात एक कंबल ओढ़कर लकड़ियों पर गुजारते थे लेकिन अब उनका वक्त बदलने वाला था ।
क्योंकि इंडस्ट्रियल रेगुलेशन के चलते पैर में शुरुआत हुई थी रेल की जिसकी बदौलत ट्रैवल आप बहुत ही आसान हो चुका था लोग प्रेम दिल खोलकर ट्रैवल कर रहे थे लेकिन एक प्रॉब्लम आ रही थी वो थी सामान लेकर जाने की. क्योंकि लोग ट्रेन में पेन्टिंग कपडे और फर्नीचर जैसे सामान लेकर जा रहे थे लोग यह प्रॉब्लम कारीगरों के लिए एक बड़ा मौका थी बडे बडे बॉक्स जैसे बाइक बनाकर उन्होंने से बनाना शुरू कर दिया.।
लोई को अपने लिए एक बड़ा मौका दिखाई दिया वह कई तरह की कारीगरी जानते थे जैसे लकड़ी पत्थर लेकिन उन्हें तलाश तीसरे मोर्चे की हर वो मौका दिया माँस एयर मार्शल ने मौन शेयर में लोई को अपनी दुकान पर कारीगर के तौर पर नौकरी देते हैं वहां पर भी उन्हें पैसे तो कुछ खास. नहीं मिल रहे थे लेकिन कह देना कि हीरा जब तक इसे या नहीं तब तक चमकेगा गया है बस लोहे वहां अपने हुनर के हीरे चमकाने में लगे हुए हैं उनकी मेहनत रंग लाई और जल्द ही व सिर्फ के ज्यादातर प्वाइंट्स के सबसे पसंदीदा बॉक्स में क्या बन गए अभी उनका वक्त अच्छा चल रहा था ।
लिए शहर अब रुकने का नाम नहीं ले रहे थे और. जल्दी में मशहूर हो गए कि फ्रांस की महारानी रहे हैं उन्हें अपना निजी बॉक्स में का बना लिया. लेकिन दोस्तों वह कहते हैं ना कि अच्छे वक्त की बुरी बात यह होती है कि वह बदलता है. शराबी दोनों ही का अच्छा वक्त चल रहा था इसलिए होते और ज्यादा पॉपुलर होते जा रहे हैं एक साल तक महारानी लगाम करने के बाद मोदी ने अपनी दुकान खोलने का फैसला लिया और इस तरह से शुरुआत हुई. ऑन किया जिसे आज हम एलोवेरा नाम से जानते हैं उस वक्त तक सिर्फ लैदर के और बॉक्स बनाए जाते थे जिनके ऊपर का हिस्सा डोम के आकार का होता था जिसकी वजह यह थी कि पानी बॉक्स के नारों के और लगभग को नुकसान न पहुंचे लेकिन यहां परेशानी यह थी कि बॉक्स को एक के ऊपर एक नहीं रख सकते हैं वो ज्यादा जगह लेते थे. दो परेशानियों को लोई के का आइडिया ने खत्म कर दिया. का आइडिया इस इंडस्ट्री में क्रांति से कम नहीं था ।
उन्होंने लैदर की जगह कैनवस का इस्तेमाल करना शुरू किया भी लैदर के मुकाबले हल्का टिकाऊ और सबसे ज्यादा वॉटरप्रूफ था अब इससे बॉक्स को रैगुलर शेप में बनाना शुरू हो गया जिससे लोग उन्हें एक के ऊपर एक रख सकते हैं इसके अलावा वह दिखने में भी शानदार मॉडल लगते थे लोई के. एक आइडिया ने उनकी जिंदगी और मैं उस दो साल के अंदर लोगों के बीच वर्तमान के पैगाम हो चुका था अब लोई बॉक्स के आगे बढ़कर हैंड बैग बनाने का सोचा उस वक्त के लोग लिए किसी सदर से कम नहीं था लोग उन्हें सिर्फ मजबूरी में इस्तेमाल करते थे. लोई को खुद में यकीन था ।
जब कुछ शानदार कर सकते हैं उनके बैग लैदर की तरह कैनवस के होते हैं और उन्होंने इसी का फायदा उठा कैनवस पर नए और एलियन डिजाइन मनाना शुरू कर दिया उनके इस आइडिया ने हैंड बैग को लेकर लोगों की सोच पूरी तरह से बदल दें अब लेडीज में हैंड बैग को अपने कपड़ों के साथ मैच करना शुरू कर दिया सब कुछ सही चल रहा था. लेकिन को आप भी कुछ नया करना बाकी था और उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था ऐसे में उन्होंने अपने बेटे जॉर्ज के पिता की तरह से बैठेगा आइडिया भी किसी चमत्कार से कम नहीं था जॉर्ज ने बॉक्स पर रोक लगाने का आइडिया अपने पिता कर दिया. अभी आप सोच रहे होंगे कि या लगाने गाड़ियां चमत्कारी कैसे हो सकता है पर यही मानव दोस्त और उससे पहले बॉक्स ब्लॉक नहीं होता रहा है जॉर्ज ने लॉक के साथ बैग पर पैटर्न बना दिया जिससे बनाए गए खजाने ही डरावना था. ।
साथ ही इससे चोरी से सामान की हिफाजत होने लगी थी. के बाद ने एक बार फिर से आसमान की ऊंचाइयों को छूना शुरू कर दिया लेकिन हमने आपको बताया था ना कि हमेशा वक्त अच्छा नहीं रहता है और अब वक्त बदल रहा था. ।
फ्रैंक प्रो से आम वॉर की वजह से रेलवे का काम बंद हो गया ना सिर्फ बंद हो गया बल्कि उन्हें घर को छोड़कर वापस शहर जाना पड़ा. लुई एक बार फिर से बेघर हो गए लेकिन इस बार वो अकेले नहीं थे में इस बार उनके साथ उनका परिवार बाकी के रिफ्यूजी के साथ वो एक बेहद तंग जगह बनाने वाले जहां पर उन्हें खाना भी सही से नहीं होगा. जब लड़ाई खत्म हुई तो पूरे परिवार के साथ वापस अपने घर का उनका सारा सामान चोरी हो चुका था
वर्कशॉप बर्बाद हो गई. यूएई ने अपनी सेविंग से अपनी वर्ष को सही की दुकान गए मैच जगह होनी शुरू करते हैं वॉर की वजह से प्रॉपर्टी के रेट काफी नीचे आ गया जिससे हुई को शहर के अंदर दुकान काफी सस्ते रेट में दुकान खोलने के छह महीने के अंदर ही लोहे का सारा काम वापस पटरी पर आ गया लगे उन्होंने काम से वापस पटरी पर लाना था बल्कि. का तेजी से चलाना भी था इसलिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने का सोचा और अपने बैग्स पर पैटर्न प्रिंट करना शुरू कर दिया जिससे वह अपने काम पर से दो कदम आगे निकल गए. इनके इस नए डिजाइन ने मार्केट में धूम मचा दी. अपने देश बल्कि विदेशों से भी आर्डर मिलने लगे है ।
इसे देखते हुए लोई ने अपना एक शॉप लंदन सभी खोल दिया साथ शुरुआत हुई लो वह चौहान के वर्ल्ड वाइड विस्तार किया और उस वक्त वह अकेले ऐसे डिजाइनर थे जिनके प्रोडक्ट अपने देश से लेकर स्वदेशी अमीरों के घरों में पाए जाते थे इसलिए लोई का सामान खरीदना आसान बनाने के लिए अपने. कंपनी का क्या जवाब जारी करने का सोचा वहीं उसी साल उनकी मौत हो गई. मौत की वक्त उनकी उम्र बहत्तर साल थे ।
और आज तक उनकी मौत की वजह किसी को नहीं पता पिता के रोजाना के बाद जॉर्ज ने कंपनी संभाली और होंने अपने पिता की याद में एलवी क्या वह मोनोग्राम जारी किया जिसमें बाद सभी देखते हैं. तो मर गए. उनकी बनाई कंपनियां लक्जरी फैशन की फेहरिस्त में पहले नंबर पर आती है जिसकी मार्केट वैल्यू बाईस लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा है
Elon Musk- Biography in Hindi। दुनिया के सबसे अमीर इंसान की कहानी ।
एलोन मस्क अफ्रीकी मूल के इन्वेस्टर इंजीनियर और बिजनेसमैन हैं. और आज के समय में वे पूरी दुनिया में अपनी दूरगामी सोच की वजह से काफी प्रसिद्धि पा चुके हैं.
Elon की सोच हमेशा से ही इंसानों की परेशानियों को दूर करने पर केंद्रित रही है. और इसी सोच की वजह से वे पूरी दुनिया भर में जीनियस एंटरप्रेन्योर के नाम से भी जाने जाते हैं. ऐलान आज के समय में फोर्ब्स के अनुसार दुनिया के किस में सबसे धनी व्यक्ति है. लेकिन उसको कोई भी व्यक्ति जन्म से अमीर नहीं होता इस पायदान पर पहुंचने के लिए उसे न जाने कितनी मेहनत करनी पड़ती है.
ठीक उसी तरह ही एलोन मस्क ने भी बचपन से ही काफी मेहनत की और बहुत सारे संघर्षों के बाद आज भी लाखों युवाओं के लिए एक इंस्पिरेशन बन चुके हैं. तो चलिए दोस्तों एलोन मस्क केस मोटिवेशनल लाइफ जर्नी को हम शुरू से जानते हैं. तो दोस्तो कहानी की शुरुआत होती है
आज से करीब छियालीस साल पहले जब साउथ अफ्रीका के प्रिटोरिया शहर में अट्ठाईस जून उन्नीस सौ इकहत्तर को एलोन मस्क का जन्म उनके पिता का नाम रोल मस्त था और वे इंजीनियर होने के साथ साथ एक पायलट भी और उनकी मां का नाम में मस्त था. जो कि एक मॉडल और डाइटीशियन थी. लॉन मस्त बचपन से ही पढ़ने में काफी दिलचस्पी रखते थे. और हमेशा ही किताबों के आसपास देखे जाते थे.
और सिर्फ दस साल की उम्र में उनको कंप्यूटर में भी काफी इंटरेस्ट हो गया था और सिर्फ बारह साल की छोटी सी उम्र में उन्होंने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखकर एक ब्लास्टर नाम का गेम बना डाला. जिसे कि उन्होंने पाँच सौ डॉलर की कीमत पर पीसीएम ऑफिस टेक्नॉलजी नाम की एक कंपनी को बेच दिया और यहीं से इलाज की प्रतिभा साफ साफ झलकने लगी थी. वो बचपन में आइजैक असिमोव की किताबे पढ़ा करते थे. और शायद यही से उनको टेक्नॉलजी के प्रति इतना लगाव है. बचपन में एलोन कोई स्कूल के दिनों में बहुत परेशान किया जाता था.
सत्रह साल की उम्र में एलोन मस्क ने क्वीन यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई शुरू की और वहां पर दो साल पढ़ने के बाद वे यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया ट्रांसफर हो गए. जहां उन्होंने उन्नीस सौ बयान्वे में फिजिक्स में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री ली. उन्नीस सौ पचानवे में लॉन मस्त पीएचडी करने के लिए कैलिफोर्निया से हो गए ।
लेकिन वहां पर रिसर्च शुरू करने के मात्र दो दिन के अंदर ही उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और एक सफल व्यवसायी बनने के लिए अपने कदम बढ़ा दिए उन्नीस सौ पंचानबे में अपने भाई के साथ इलाज मस्त में जीप दो नाम की एक सॉफ्टवेयर कंपनी शुरू की जिसे. है कि आगे चलकर कॉम्पैक्ट ने तीन सौ सात मिलियन डॉलर जैसी बड़ी रकम देकर खरीद ली. और इसके बिकने के बाद जीप में अपने सात पर्सेंट के शेयर से एलोन मस्क को कुल बाईस मिलियन डॉलर मिले. ।
और फिर उन्नीस सौ निन्यानवे में इन पैसों में से दस मिलियन डॉलर का इन्वेस्ट करते हुए इलेवन ने एक्स डॉट कॉम की स्थापना की जो कि एक फाइनेंशियल सर्विस देने वाली कंपनी थी और एक साल बाद यह कंपनी कौन सी नीति नाम की एक कंपनी के साथ जुड़ गई. और दोस्तों बता दूं कि कौन क्वांटिटी कंपनी की एक मनी ट्रांसफर सर्विस हुआ करती थी जिसे कि अब हम पेपाल के नाम से जानते हैं.
दिसंबर दो हज़ार पंद्रह में मस्त ने एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रिसर्च कंपनी की शुरुआत की जिसका नाम ओपेन रखा गया जिसके तहत वह मानवता के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को फायदेमंद और सुरक्षित बनाना चाहते हैं. दो हज़ार सोलह में एलन मस्क न्यू लिंक नाम की एक कंपनी के को फाउंडर बने और यह कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ह्यूमन ब्रेन को जोड़ने के काम में लगी हुई है. तो कुल मिला जुलाकर दोस्तों देखना अपने एलन मस्क इस तरह से अलग अलग तरह के बहुत सारे कामों में लगे हुए हैं. और इस बात से उन्होंने साबित कर दिया है ।
कि उनके जैसा सोच रखने वाले व्यक्ति कुछ बड़ा कर पाते हैं. वैसे तो आज वो एक जानीमानी हस्ती हैं और दुनिया भर में नाम कमा चुके हैं. लेकिन उनका मानना है कि दुनिया में अभी भी बहुत सारी ऐसी चीजें हैं जैसे की बेहतर करके मानव के हितों में काम किया जा सकता है.
कि आपको एलन मस्क की यह लाइफ स्टोरी जरुर पसंद आई होगी. आपका आप बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
एक बार तो कुछ लड़कों के ग्रुप ने उनको सीढ़ियों से धक्का दे दिया और उनको तब तक मारा जब तक कि वह बेहोश नहीं हो गए इसके लिए उन्हें कई दिनों तक हास्पिटल में भर्ती होना पड़ा था. लेकिन दोस्तों एलोन मस्क को भले ही बचपन में इतनी सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. पर आगे चलकर उन्होंने मानवता के हित में काफी सराहनीय काम किया.
और तभी से लेकर अब तक पेपाल मनी ट्रांसफर का काफी लोकप्रिय माध्यम रहा है. दो हज़ार दो में ईबे ने पेपाल को वन पॉइंट फाइव बिलियन डॉलर की अविश्वसनीय रकम देकर खरीद लिया और इस डील के बाद एलोन मस्क को एक सौ पैंसठ मिलियन डॉलर मिले. और दोस्त बता दो कि ईरान मांस नेपाल के सबसे बड़े शेयर होल्डर है. और फिर दो हज़ार दो में अपने जमा किए हुए पैसों में से सौ मिलियन डॉलर की बड़ी रकम के साथ इलाज मसले स्पेस एक्स नाम की एक कंपनी की स्थापना की और यह कंपनी आज के समय में स्पेस लॉन्चिंग विकल्प बनाने में कार्यरत है. ।
एक इंटरव्यू में बताया कि दो हज़ार तीस तक वे इंसानों को मंगल ग्रह पर बसाने की पूरी तैयारी में है. दो हज़ार तीन में एलोन मस्क ने दो लोगों के साथ मिलकर टेस्ला इंक नाम की एक और कंपनी की शुरुआत की. और दो हज़ार आठ के बाद से ही टेस्ला के सीईओ के तौर पर काम कर रहे हैं. और तो तो शायद आपको तो पता ही होगा कि टेस्ला की खासियत इसकी लाजवाब इलेक्ट्रिक कार से और फिर दो हज़ार छः में मस्क ने अपनी गर्दन की कंपनी सोलर सिटी को फाइनेंसियल कैपिटल मुहैया करवाकर इसे शुरू करने में अहम रोल अदा किया ।
और फिर दो हज़ार तेरह में सोलर सिटी यूनाइटेड स्टेट में सोलर पावर सिस्टम. मुहैया कराने वाली दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गई और फिर आगे चलकर दो हज़ार सोलह में टेस्ला इंक ने सोलर सिटी को अपने अंतर्गत ले लिया और आज के समय में सोलर सिटी पूरी तरह से टेस्ला इंक के अंतर्गत ही काम करती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोग्राफी हिंदी ।। चाय वाले से प्रधानमंत्री तक का सफर ।। नरेन्द्र भाई दामोदरदास मोदी
मोदी जी का जीवन बहुत ही साधारण तरीके से शुरू हुआ मगर अपनी देशभक्ति अपने जज्बे और अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने ऐसी सफलता हासिल की. जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था.
एक बेहद ही गरीब परिवार में पैदा हुए अपने बचपन के दिनों में जब बच्चे खेलने कूदने में अपना समय व्यतीत करते हैं. तब उन्होंने अपने घर की आर्थिक सहायता के लिए अपने पिता की दुकान में हाथ बताई और ट्रेन के डिब्बों में जाकर चाय बेची लेकिन दोस्तों अगर आपके अंदर अपने देश के लिए कुछ कर जाने की इच्छा होना तो कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं रह जाता. कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो. आइए दोस्तों हम शुरू से मोदी जी के चाय बेचने से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक के अद्भुत सफर को डिटेल में जानते हैं. नरेंद्र मोदी का जन्म सत्रह सितंबर उन्नीस सौ पचास को बॉम्बे राज्य के मेहसाणा जिले में वडनगर नाम के गांव में हुआ था. दोस्तो बता दूं कि बॉम्बे राज्य पहले भारत का ही एक राज्य था. जिसे एक मई उन्नीस सौ साठ में अलग कर गुजरात और महाराष्ट्र बना दिया गया. तो इस तरह अब मोदी जी का जन्मस्थान गुजरात राज्य के अन्तर्गत आता है. नरेंद्र मोदी के पिता का नाम दामोदरदास मूलचंद मोदी था. और मां का नाम हीराबेन मोदी है. जन्म के समय उनका परिवार बहुत गरीब था और वे एक छोटे से कच्चे मकान में रहते थे. नरेंद्र मोदी अपने माता पिता की कुल छः संतानों में तीसरे पुत्र हैं. मोदी के पिता रेलवे स्टेशन पर चाय की एक छोटी सी दुकान चलाते थे. जिसमें नरेंद्र मोदी भी उनका हाथ बंटाते थे. और रेल के डिब्बों में जाकर चाय बेचते थे. लेकिन हां चाय की दुकान संभालने के साथ साथ मोदी पढ़ाई लिखाई का भी पूरा ध्यान रखते थे. मोदी के टीचर बताते हैं कि नरेंद्र पढ़ाई लिखाई में तो एक ठीक ठाक छात्र थे. लेकिन में नाटकों और भाषणों में जम कर हिस्सा लेते थे. और उन्हें खेलकूद में भी बहुत दिलचस्पी थी. उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई वडनगर से पूरी की. सिर्फ तेरह साल की उम्र में नरेंद्र मोदी की सगाई जसोदा बेन चमनलाल के साथ कर दी गई. link:https://youtu.be/p4W78YM1Ua
और फिर सत्रह साल की उम्र में उनकी शादी हो गई. फाइनेंसियल एक्सप्रेस की एक न्यूज के अनुसार नरेंद्र और जसोदा ने कुछ वर्ष साथ रहकर बिताएं. लेकिन कुछ समय बाद नरेंद्र मोदी की इच्छा से वे दोनों एक दूसरे के लिए अजनबी हो गए. लेकिन नरेंद्र मोदी के जीवन लेखक ऐसा नहीं मानते हैं. उनका मानना है कि उन दोनों की शादी जरूर हुई लेकिन वे दोनों एक साथ कभी नहीं रहे शादी के कुछ वर्षों बाद नरेंद्र मोदी ने घर छोड़ दिया और एक तरह से उनका वैवाहिक जीवन लगभग समाप्त हो गया. नरेंद्र मोदी का मानना है कि एक शादीशुदा के मुकाबले अविवाहित व्यक्ति भ्रष्टाचार के खिलाफ ज्यादा जोरदार तरीके से लड़ सकता है. क्योंकि उसे अपनी पत्नी परिवार और बाल बच्चों की कोई चिंता नहीं रहती. बचपन से ही मोटी में देशभक्ति कूट कूट कर भरी थी. उन्नीस सौ बासठ में जब भारत चीन युद्ध हुआ था. उस समय मोदी रेलवे स्टेशन पर जवानों से भरी ट्रेनों में उनके लिए खाना और चाय लेकर जाते थे. उन्नीस सौ पैंसठ में भारत पाकिस्तान युद्ध के समय भी मोदी ने जवानों की खूब सेवा की थी. उन्नीस सौ इकहत्तर में वे आरएसएस के प्रचारक बन गए. और अपना पूरा समय आरएसएस को देने लगे. वे वहां सुबह पांच बजे उठ जाते और देर रात तक काम करते. प्रचारक होने की वजह से मोदीजी ने गुजरात के अलग अलग जगहों पर जाकर लोगों की समस्याओं को बहुत करीब से समझा. और फिर भारतीय जनता पार्टी का आधार मजबूत करने में इंपॉर्टेंट रोल निभाया. उन्नीस सौ पचहत्तर के आसपास में राजनीति क्षेत्रों में विवाद की वजह से उस समय कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कई राज्यों में आपातकालीन घोषित कर दिया था. और तब आरएसएस जैसी संस्थाओं पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था.
फिर भी मोदी चोरी छिपे देश की सेवा करते रहे और सरकार की गलत नीतियों का जमकर विरोध किया. उसी समय मोदी जी ने एक किताब भी लिखी थी. जिसका नाम संघर्ष मांग गुजरात था. इस किताब में उन्होंने गुजरात की राजनीति के बारे में चर्चा किया था. उन्होंने आरएसएस के प्रचारक रहते हुए उन्नीस सौ अस्सी में गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पीजी की डिग्री प्राप्त की. आरएसएस ने बेहतरीन काम को देखते हुए उन्हें भाजपा में नियुक्त किया गया. जहां उन्होंने उन्नीस सौ नब्बे में आडवाणी की अयोध्या रथ यात्रा का भव्य आयोजन किया. जिससे भाजपा के सीनियर लीडर्स काफी प्रभावित हुए. आगे भी उनके अद्भुत कार्य की बदौलत भाजपा में उनका महत्व बढ़ता रहा. आखिरकार मोदी की मेहनत रंग लाई और उनकी पार्टी ने गुजरात में उन्नीस सौ पंचानबे के विधानसभा चुनाव में बहुमत में अपनी सरकार बना ली. लेकिन मोदी से कहासुनी होने के बाद शंकर सिंह वाघेला ने पार्टी से रिजाइन दे दिया. उसके बाद केशुभाई पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बना दिया गया. और नरेंद्र मोदी को दिल्ली बुलाकर भाजपा में संगठन के लिए केंद्रीय मंत्री का रिस्पॉन्सिबिलिटी दिया गया. मोदी जी ने इस रिस्पॉन्सिबिलिटी को भी बखूबी निभाया. दो हज़ार एक में केशुभाई पटेल की सेहत बिगड़ने लगी थी. और भाजपा चुनाव में कई सीटें भी हार रही थी. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने अक्टूबर दो हज़ार एक में केशुभाई पटेल की जगह नरेंद्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी. नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री का अपना पहला कार्यकाल सात अक्टूबर दो हज़ार एक से शुरू किया इसके बाद मोदी ने राजकोट विधानसभा चुनाव लड़ा जिसमें उन्होंने कांग्रेस पार्टी के अश्विन मेहता को बड़े अंतर से मात दी. मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए मोदी ने बहुत ही अच्छी तरीके से अपने कार्यों को संभाला. और गुजरात को फिर से मजबूत कर दिया. उन्होंने गांव गांव तक बिजली पहुंचाई. टूरिज्म को बढ़ावा दिया देश में पहली बार किसी राज्य की सभी नदियों को एक साथ जोड़ा गया. जिससे पूरे राज्य में पानी की प्रॉब्लम सॉल्व हो गए. एशिया के सबसे बड़े सोलर पार्क का निर्माण भी गुजरात में हुआ. और इन सबके अलावा थी उन्होंने बहुत सारे अद्भुत कार्य की और देखते ही देखते गुजरात को भारत का सबसे बेहतरीन राज्य बना दिया. और वह खुद गुजरात के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री बन गए. लेकिन उसी बीच मार्च दो हज़ार दो में गुजरात के गोधरा कांड से नरेंद्र मोदी का नाम जोड़ा गया इस कांड के लिए न्यूयॉर्क टाइम्स ने मोदी प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया. और फिर कांग्रेस सहित अनेक विपक्षी दलों ने उनके इस्तीफे की मांग की. दोस्तों गोधरा कांड में सत्ताईस फरवरी दो हज़ार दो को गुजरात के गोधरा नाम के शहर में रेलवे स्टेशन पर साबरमती ट्रेन के एसी कोच में आग लगाए जाने के बाद उनसठ लोगों की मौत हो गई था. जिसके बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे होना शुरू हो गए. और फिर अट्ठाईस फरवरी दो हज़ार दो को गुजरात के कई इलाकों में दंगा बहुत ज्यादा भड़क गया जिसमें बारह सौ से अधिक लोग मारे गए. इसके बाद इस घटना की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय ने विशेष जांच दल बनाई और फिर दिसंबर दो हज़ार दस में जांच दल की रिपोर्ट के आधार पर फैसला सुनाया कि इन दंगों में नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला. नरेंद्र मोदी ने गुजरात में कई ऐसे हिन्दू मंदिरों को भी ध्वस्त करने में थोड़ा सा भी नहीं सोचा जो सरकारी कानून कायदों के मुताबिक नहीं बने थे. हालांकि इसके लिए उन्हें विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों का भी विरोध झेलना पड़ा. लेकिन उन्होंने इसकी थोड़ी सी भी परवाह नहीं की और देश के लिए जो सही था. उसी काम को करते रहे हैं उनके अच्छे डिसीजन और कार्यों की वजह से गुजरात के लोगों ने मोदी को चार बार लगातार अपना मुख्यमंत्री बनाया गुजरात में मोदी की सफलता देखकर बीजेपी के सीनियर नेताओं ने मोदी को दो हज़ार चौदह के लोकसभा चुनाव का प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित. किया जिसके बाद मोदी ने पूरे भारत में बहुत सारी रैलियां कीं और साथ ही साथ उन्होंने सोशल मीडिया का भी भरपूर लाभ उठाया और लाखों लोगों तक अपनी बात रखी. मोदी की अद्भुत विकासशील कार्य उनकी प्रेरणा दायक भाषण देश के लिए उनका प्यार और उनकी सकारात्मक सोच की वजह से उन्हें भारी मात्रा में वोट मिले. भारत की पंद्रह में प्रधानमंत्री बने. दोस्तों नरेंद्र मोदी एक बहुत ही मेहनती व्यक्ति है. वे अट्ठारह घंटे काम करते हैं और कुछ ही घंटे सोते. दोस्तो मोदी जी का कहना है कि कड़ी मेहनत कभी थकान नहीं लाती है. वह तो बस संतोष बाकी है. नरेंद्र मोदी शुद्ध शाकाहारी हैं और नवरात्र के नौ दिन उपवास रखते. वे अपनी सेहत का भरपूर ध्यान रखते हैं. और प्रतिदिन योग करते हैं भले ही वे कहीं पर भी. मोदी जी अपनी मां से बहुत प्यार करते हैं. उनका कहना है कि मेरे पास अपने बाबा दादा की न ही एक पाई है. और ना ही मुझे चाहिए. मेरे पास अगर कुछ है. तो अपनी मां का दिया आश्वासन.
धन्यवाद
डरते तो वो हैं जो अपनी छवि के लिए मरते हैं. मैं तो हिन्दुस्तान की छवि के लिए मरता हूँ. और इसीलिए किसी से भी नहीं डरता हूँ. ऐसा कहना है दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगों में शामिल भारत के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का. जिन्हें हमारे देश की राजनीति की वजह से आप प्यार करें या फिर नफरत लेकिन उनके कार्यों को अनदेखा नहीं कर सकते.
Thursday, January 19, 2023
स्टीफन हॉकिंग एक ऐसा नाम है । Stephen Hawking । ♥️🌹
स्टीफन हॉकिंग की ऐसी जिन्दगी जो हमे उत्तेजना से भर देती है ओर कुछ कर दिखाने को प्रेरित करती है तो आइए शुरू करते है ।
मुझे मौत से कोई डर नहीं लगता. लेकिन मुझे मरने की भी कोई जल्दी नहीं है. क्योंकि मरने से पहले जिंदगी में बहुत कुछ करना बाकी है. ऐसा कहना है महान और अद्भुत वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का.
जिसके शरीर का कोई भी अंग काम नहीं करता. वह चल नहीं सकते. वह बोल नहीं सकते. वह कुछ कर नहीं सकते. लेकिन फिर भी जीना चाहते हैं.
स्टीफेन का कहना है कि मृत्यु तो निश्चित है. लेकिन जन्म और मृत्यु के बीच कैसे जीना चाहते हैं. वह हम पर निर्भर करता है. चाहे जिंदगी जितनी भी कठिन हो आप हमेशा कुछ न कुछ कर सकते हैं और सफल हो सकते हैं.
जब स्टीफन हॉकिंग का जन्म हुआ. उस समय दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था. स्टीफन हॉकिंस के माता पिता लंदन के हाय गेट सिटी में रहते थे. जहां पर अक्सर बमबारी हुआ करती थी. जिसकी वजह से वह अपने पुत्र के जन्म के लिए ऑक्सफोर्ड चले आए. जहां पर सुरक्षित रूप से स्टीफन हॉकिंस का जन्म हो सका.
बचपन से ही हॉकिंस बहुत ही इंटेलिजेंट थे. उनके पिता डॉक्टर और माँ एक हाउसवाइफ थी. स्टीफन की बुद्धि का परिचय इसी बात से लगाया जा सकता है. कि बचपन में लोग उन्हें आइंस्टीन कहकर कर पुकारते थे. उन्हें कोडिंग में बहुत दिलचस्पी थी.
यहां तक कि उन्होंने पुराने इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों से कंप्यूटर बना दिया था. 17 वर्ष की उम्र में उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रवेश ले लिया. ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई के दौरान उन्हें अपने दैनिक कार्यों को करने में थोड़ी दिक्कत आने लगी थी.
इसके बाद स्टीफन छुट्टियां मनाने के लिए अपने घर पर आए हुए थे. तभी सीढ़ियों से उतरते समय वह बेहोश हो गए. और नीचे गिर गए. शुरू में तो सभी ने कमजोरी मात्र समझकर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. लेकिन बार बार इसी तरह के बहुत से अलग अलग प्रॉब्लम होने के बाद जांच करवाया तो पता चला कि उन्हें कभी न ठीक होने वाली बीमारी है. जिसका नाम न्यूरॉन मोर्टार थीसिस था.
इस बीमारी में मांसपेशियों को नियंत्रित करने वाली सारी नसें धीरे धीरे काम करना बंद कर देती है. जिससे शरीर अपंग हो जाता है. और पूरे अंग काम करना बंद कर देते हैं. डॉक्टर का कहना था कि स्टेफन अब सिर्फ दो वर्ष और जी सकते हैं. क्योंकि अगले दो सालों में उनका पूरा शरीर धीरे धीरे काम करना बंद कर देगा. स्टीफन को भी इस बात से बड़ा सदमा लगा.
लेकिन उन्होंने कहा कि मैं ऐसे नहीं मर सकता. मुझे जीवन में बहुत कुछ करना तो अभी बाकी है. स्टीफन ने अपनी बीमारी को दरकिनार कर तुरंत अपने वैज्ञानिक जीवन का सफर शुरू किया. और अपने आप को पूरी तरह विज्ञान को समर्पित कर दिया.
धीरे धीरे उनकी ख्याति पूरी दुनिया में फैलने लगी. उन्होंने अपनी बीमारी को एक वरदान के रूप में समझ लिया था.
लेकिन वहीं दूसरी तरफ उनका शरीर भी उनका साथ छूटता चला जा रहा था. धीरे धीरे उनका बायां हिस्सा पूरा काम करना बंद कर दिया. बीमारी बढ़ने पर उन्हें एक वील चेयर का सहारा लेना पड़ा. उनकी ये चीयर एक कंप्यूटर के साथ बनी है. जो उनके सर उनकी आँखों और उनके हाथों की कंपन से पता लगा लेती है कि वह क्या बोलना चाह रहे हैं. धीरे धीरे स्टेफन का पूरा शरीर काम करना बंद कर दिया था.
लेकिन उस बीमारी में एक प्लस प्वाइंट भी था. कि इस बीमारी से स्टीफन सिर्फ शारीरिक रूप से अपंग हो रहे थे. न की मानसिक रूप से.
उसके बाद लोग यूं ही देखते चले गए. और हॉकिंग मौत को मात पर मात दे रहे थे. उन्होंने ब्लैक होल का कॉन्सेप्ट और हॉकिंग रेडिएशन का महान विचार दुनिया को दिया.
उन्होंने अपने विचारों को और सरल भाषा में समझाने के लिए एक किताब लिखी. अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम.
जिसने दुनिया भर के विज्ञान जगत में तहलका मचा दिया. दोस्तों स्टीफन हॉकिंग एक ऐसा नाम है. जिन्होंने सार्वजनिक रूप से विकलांग होने के बावजूद अपने आत्मविश्वास के बल पर विश्व का सबसे अनूठा वैज्ञानिक बन कर दिखाया है.
जो विश्व में न केवल अद्भुत लोगों. बल्कि सामान्य लोगों के लिए प्रेरणा बने हैं.
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद..
धन्यवाद.
Mr. Allahabadi
Saturday, January 14, 2023
। मकर संक्रांति 2023 ।।
कब है मकर संक्रांति 2023?
मकर संक्रांति के दिन किसकी पूजा की जाती है?
इसकी वजह यह है, कि इस दिन सूर्यदेव उत्तरायण होते हैं और देवताओं का दिन आरंभ होता है। मकर संक्रांति पर सूर्यदेव के साथ शनि महाराज की भी पूजा की जाती है
मकर सक्रांति के संबंध में रोचक जानकारी
मकर संक्रांति हिंदू धर्म के अनुयायीं द्वारा माना जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है।
यह सूर्य के संक्रांति के समय मकर राशि में होता है।
यह धर्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है।
यह धर्मीय उपवासों, पूजाओं, धूमधाम और उत्सवों के साथ मनाया जाता है।
इस दिन पूजा के दौरान सूर्य के केंद्र में स्थित होने के कारण इसे सूर्य के संक्रांति के रूप में भी माना जाता है।
यह प्राचीन काल से ही मनाया जाता है और धर्मीय पुस्तकों में भी उल्लेख किया गया है।
यह भारत, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, थाईलैंड जैसी जगहों पर भी मनाया जाता है
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है वैज्ञानिक कारण
मकर संक्रांति का वैज्ञानिक कारण यह है कि इस दिन से सूर्य के उत्तरायण हो.
जाने से प्रकृति में बदलाव शुरू हो जाता है। ठंड की वजह से सिकुड़ते लोगों को सूर्य के उत्तरायण होने से शीत ऋतु से राहत मिलना आरंभ होता है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां के पर्व त्योहार का संबंध काफी कुछ कृषि पर निर्भर करता है। मकर संक्रांति ऐसे समय में आता है जब किसान रबी की फसल लगाकर खरीफ की फसल, धन, मक्का, गन्ना, मूंगफली, उड़द घर ले आते हैं। किसानों का घर अन्न से भर जाता है।
इसलिए मकर संक्रांति पर खरीफ की फसलों से पर्व का आनंद मनाया जाता है।
मकर संक्रांति कौन से राज्य में मनाया जाता है?
मकर संक्रांति कहां मनाया जाता है
मकर संक्रांति (संक्रान्ति) पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है।
वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है
बिहार में मकर संक्रांति को तिल संक्रांत नाम से जानते हैं
इसके अलावा असम में इसे 'माघ- बिहू' और ' भोगाली-बिहू' के नाम से जानते हैं। वहीं तमिलनाडु में तो इस पर्व को चार दिनों तक मनाते हैं।
यहा पहला दिन ' भोगी – पोंगल, दूसरा दिन सूर्य- पोंगल, तीसरा दिन 'मट्टू- पोंगल' और चौथा दिन ' कन्या- पोंगल' के रूप में मनाते हैं
भारत में अलग अलग जगह पर मकर संक्रान्ति को क्या नाम से जाना जाता है
और कैसे मनाया जाता है ये भी जाने
1. बिहार में तिल संक्रांत कहा जाता है बिहार राज्य में भी मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार को यहां तिल संक्रांत या दही चूड़ा के नाम से जाना जाता है. आज के दिन उड़द की दाल, तिल, चावल आदी देने की परंपरा बरसों से चली आ रही है.
2. बंगाल में आज के दिन गंगासागर पर लगता है मेला
बंगाल में आज के दिन गंगासागर पर मेले का आयोजन होता है. इस पर्व पर स्नान करने और तिन दान करने की परंपरा चली आ रही है. पौराणिक कथा के अनुसार यशोदा जी ने श्रीकृष्ण की प्राप्ति के लिए व्रत रखा था. इसी दिन मां गंगा भागीरथ के पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए गंगा सांगर में जाकर मिल गई थी. यही कारण है कि हर साल मकर संक्रांति के दिन गंगा सागर पर भारी भीड़ होती है.
3.उत्तर भारत में इसे मकर संक्रांति कहा जाता है. वहीं तमिलनाडु में इसे पोंगल के नाम से जाना जाता है। असम में इसे माघ बिहू और गुजरात में इसे उत्तरायण कहते हैं. पंजाब और हरियाणा में इस समय नई फसल का स्वागत किया जाता है और लोहड़ी पर्व मनाया जाता है. इस दिन पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व होता है और लोग बेहद आनंद और उल्लास के साथ पतंगबाजी करते हैं. गुजरात में इस दिन पतंगबाजी के बड़े-बड़े आयोजन किए जाते हैं
खुश रहने का सबसे आसान तरीका ।।
दुख एक स्वयं द्वारा पैदा की गई सोच है जो शारीरिक या मानसिक समस्याओं से संबोधित हो सकता है। यह एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया हो सकती है, अगर हम यह सोचे की हम कभी दुखी न हो तो ये भी सही नही है,
दुखी होना भी कभी कभी अच्छा हो सकता है क्यों की जब हम दुखी होते है तो हमे पता चलता है की कोई चीज कितनी महत्व रखती है हमारे जीवन में और मजे की बात तो ये है की हम दुख से निकलने का तरीका भी जानते है.
पर कभी कभी हम वो कदम नहीं उठाते क्यों की हम डरते है की कही ऐसा ना हो जाए वैसा न हो जाए ।
मेरे दोस्तो जो होना था वो तो हो गया और जो नही हुआ अगर होना होगा तो होगा ही उसे रोक कौन सकता है.
हां अगर हम कुछ कदम उठाने का साहस करे तो शायद दुख को कुछ काम जरूर कर सकते है ।
तो ऐसा करते क्यू नही क्यों की जिंदगी ने इतना सीखा दिया है की जितना आप अच्छा कर सकते हो उससे बस थोड़ा ओर बेहतर करने की कोशिश करनी है बाकी सब उसपर छोड़ दो ।
पता है अगर कुछ कर के हार भी मिली तो दिल को ये सकूं जरूर रहे गा की किया तो था और जितना कर सकता था उससे ज्यादा किया था.
दुख को थोड़ा और बेहतर समझते है
दुखी होता कौन है हमारी आत्मा या शरीर या मन
काफी समय तक मैने भी सोचा की आत्मा इतनी शक्तिशाली होती है क्यों की जब वहा किसी में होती है तो हम उसे जिन्दा बोलते है और जब वहा उस प्राणी से निकल जाती है तो उसे मृतक शरीर बोलते है ।
किसी इंसान के अंदर मौजूद आत्मा तो दुखी हो नही सकती क्यों की आत्मा को तो कोई दुखी कर ही नहीं सकता क्यो की दुःख होने के लिए किसी चीज को इस संसार की मोह माया में फसना होगा और आत्मा इस मोहमाया से मुक्त है ।
शरीर केवल एक तरीके से दुखी हो सकता है जब वहा किसी कष्ट में हो हम इसको किसी शारीरिक दर्द या पीड़ा बोल सकते है तब शरीर दुखी हो सकता है और सच कहूं तो केवल यही एक मात्र दुखी होने का कुछ हद तक सही कारण है वरना आज का विज्ञान इतनी आगे जा चुका है की अगर सही इलाज सही समय पर हो जाए तो बस कुछ दिनों का मेहमान होता हैं शरीरिक कष्ट और मेरा मानना है की हमे शरीरक कष्ट को दूर करने के लिए जितनी जल्दी कदम उठा सकते है उठा लेना चाहिए ।
मन अगर मैं इसे और सही से बोलूं तो मन जैसी कोई चीज ही नहीं बनी है दुनिया में मन का मतलब मस्तिस्क से है जो किसी भी बात को अपने तरीके से समझ कर जैसा हम मानते चले आए है वैसी सोच का विकास हमारे अंदर होता जाता है और हम अपने आप को दुखी मानने लगते है ये स्वाभाविक भी है क्यो की हम इंसान है इंसान ऐसा ही करते है पर मेरा कहें ये है की क्या ये जरूरी है की हमेशा दुखी ही रहा जाए ।
माना कोई बात घाटी और मन दुखी हो गया (हमारी सोच दुखी हो गई) पर जब तक रोना है रोलो पर जब तक ये भी आप को ही निर्णय लेना होगा जिस तरह दुखी होने का खुद से निर्णय लिया वैसे ही शान्त होने का भी आप को ही निर्णय लेना होगा वरना ये दुनिया है कुछ लोग को छोड़ कर बाकी सारे तमाशा देखने के लिए तैयार खड़े है और आप दुखी होकर उनका मानो रंजन कर रहे हो तो ऐसा ही आप ने भी सोचा है की लोगो को मजा दिलाने का तो रोते रहिए
अब काफी रो चुके आप अब जरूरत नहीं किसी दूसरे के लिए रोने की क्यो की आप की जिंदगी है और इसे खुल के जीना है आप को जिसको जो सोचना है सोचे आप को फर्क नही पड़ना चाहिए क्यो की आप खुद में ही बहुत कुछ हो जरूरत नहीं आप को किसी के सहारे की आप दूसरो का सहारा खुद बनो खुशियां बातो ताकि आप खुशियों से इतने भर जाओ की दुख आने की कोई जगह ही न बचे ।
जब आप किसी को दुवाओं में मांगो और वो न मिले,
तो समझ जाना की किसी और ने आप को खुदा से मागा और उस की दुआ खुदा ने कबूल कर ली ।
कहने का मतलब बस इतना है की जरूरी नहीं की भगवान हमेशा हमारी ही सुने शायद कोई और आप को भगवान से मागा रहा होगा और वो आप को इतने दिल से माग रहा है की आप की माग भगवान को उस दूसरे से कम लगी सो
साथ उसी का निभाए जो आप को प्यार करे
न की आप उससे करे
मेरा मानना है की ज्यादा कदर वही करे गा जो हमे चाहे जरूरी नहीं की हम उसको चाहे और जब इतना प्यार मिले गा तो हम इंसान है कोई पत्थर नही दिल लग ही जाए गा ।
अच्छे रिश्ते
- बिना बोले बातो को समझ लेने वाला इंसान
- पैसे को उतना ही महत्व देना जितनी होनी चाहिए न काम न बहुत ज्यादा
- विश्वाश सबसे जरूरी है और ऐसा केवल ऊपर से दिखावे के लिए नही बल्कि सच में निभाया भी जाना चाहिए
- दोनो में जब एक टूटे तो दूसरा उसे संभालने के लिए पूरे मन से खड़ा हो जाए
खुश रहने का सबसे आसान तरीका
- दूसरों से तुलना न करें: खुश रहने का सबसे आसान तरीका है कि आप खुदकी तुलना दूसरों से करना छोड़ दें. ...
- खुद को समय दें: खुश रहने के लिए जरूरी है कि आप खुद के साथ थोड़ा समय बिताएं. ...
- भूलना सीखें: खुश रहने के लिए जरूरी है कि आप दूसरों की कही गई बातों को भूलना सीखें
सच्ची खुशी
सच्ची खुशी मन से खुश होना या चेहरे पर मुस्कान लाना नही होती बल्कि सच्ची खुशी तो आत्मा के खुश होने पर आती है आत्मा तब ही खुश हो सकती है जब उसका मिलन परमात्मा से हो। परमात्मा की प्राप्ति करने के राह पर चलना और परमात्मा को पा लेना ही सच्ची खुशी हैं।
Saturday, December 31, 2022
कोरोना संक्रमण खबरें (COVID-19)
कोरोना वायरस (COVID-19) ने भारत में भी अपना असर जमाया है और सभी राज्यों में इसके संक्रमण से जुड़े खबरें आ रही हैं। हालांकि, भारत में स्थापित कोविड-19 से बचाव और संक्रमण रोकने के लिए संघ स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी तत्काल सेवाएं शुरू की हैं।
स्थानों में सुरक्षा नियमों और सुरक्षा अभियानों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने नियम लागू किया है। इनमें से एक है स्थानों में मास्क पहनने का आदेश। साथ ही, जो लोग इस वायरस से संक्रमित हैं, उन्हें घर पर ही होने की सलाह दी जाती है ताकि वे अपने आस-पास के लोगों से संभवत दूरी बनाए रखे।
करोना से बचाओ
कोरोना वायरस (COVID-19) एक बुख़ार, जुखाम, सांस लेने में तकलीफ़ वाली बीमारी है जो एसएआरएस-सीओवी-2 वायरस से होती है। इसका संक्रमण स्वास्थ्यहीन व्यक्ति द्वारा हाथ न धुलने, पास में रहने, खांसने या बोलने से होता है, और इसे वायरस संभवत: विषाणुजनित सतह या वस्तु से संभवत: संक्रमण होने वाले हाथ से दूसरो में फैल जाता हैं
कोरोना से बचने के लिए, निम्नलिखित सामान्य सुरक्षा नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है
- हमेशा हाथ स्वच्छ रखें। सोपा-पानी से हाथ धुलें या जब सोपा-पानी नहीं हो तो एल्कोहॉल आधारित हाथ स्वामित्व उपकरण का इस्तेमाल करें
- जब आप जनसाधारण में हों या अपने घर से बाहर हों तो मास्क जो आपका नाक और मुंह को ढके हो उसे पहनें
- अन्य लोगों से कम से कम 6 फुट दूरी बनाए रखें
- जब आप बुखारी हों तो घर पर ही रहें
- अपने स्थान की स्वास्थ्य प्राधिकरण के निर्देशों और संदेशों का पालन करें
- कोरोनावायरस (COVID-19) के बारे में कुछ रोचक तथ्य:
- COVID-19 चीन के वुहान में 2019 में पहली बार पहचाना गया नया कोरोनावायरस द्वारा होता है।
- यह वायरस हृदयांश से होने वाले ड्रापलेट्स और संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क से व्यक्ति से व्यक्ति हो सकता है।
- COVID-19 के सबसे आम लक्षण बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ होती है, हालांकि कुछ लोग वहाँ लक्षण नहीं हो सकते हैं या हल्के लक्षण हो सकते हैं।
- यह वायरस जीवनभर की स्थिति या मृत्यु के लिए गंभीर हो सकता है, विशेषकर ज्यादा आयु के व्यक्तियों या जो आधारित स्वास्थ्य स्थितिय
नया साल मुबारक हो 2023
नया साल मुबारक हो 2023!
जैसा कि हम 2022 को अलविदा कहते हैं
और नए साल का स्वागत करते हैं,
यह जश्न मनाने, चिंतन करने और भविष्य में मौजूद सभी
संभावनाओं और अवसरों की ओर देखने का समय है।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है
कि यह पिछला वर्ष चुनौतियों से भरा रहा है,
लेकिन यह लचीलापन, विकास और
एक दूसरे का समर्थन करने के लिए एक वैश्विक समुदाय
के रूप में एक साथ आने का भी समय रहा है।
जैसा कि हम 2023 में बज रहे हैं,
आइए हम उन सभी की सराहना करें जो हमने पूरा किया है
और जिसके लिए हमें आभारी होना चाहिए।
चाहे वह अपने प्रियजनों के साथ अच्छा समय बिताना हो,
व्यक्तिगत लक्ष्यों को प्राप्त करना हो,
या बस इसे एक और साल पूरा करना हो,
हमारी सफलताओं का जश्न मनाना और भविष्य के
लिए तत्पर रहना महत्वपूर्ण है।
तो आइए एक गिलास उठाएं और एक उज्ज्वल और
आनंदमय नए साल के लिए टोस्ट करें, प्यार,
हंसी और जीवन को जीने लायक बनाने वाली सभी
चीजों से भरा हुआ।
यहाँ एक शानदार 2023 है
नव वर्ष का इतिहास
नव वर्ष की उत्सव एक लंबे और विविध इतिहास की है,
जो प्राचीन सभ्यताओं से है।
प्राचीन रोमियों ने जनवरी 1 को नव वर्ष की उत्सव मनाई,
जिसमें जानस, आरंभ और अंत के देवता का
सम्मान किया गया। जानस दो चेहरों वाले होते थे,
जिनमें से एक आगे देखता था और दूसरा पिछले दिनों को,
जो अतीत और भविष्य को प्रतीत करते थे। रोमियों को लगता था
कि जानस अतीत और भविष्य को देख सकता है और वह दरवाज़े खोलने और बाधाएं हटाने में शक्ति है।
मध्ययुग में यूरोप में नव वर्ष का उत्सव विभिन्न तिथियों पर
मनाया जाता था, जिनमें मार्च 25
नववर्ष की उत्सव प्राचीन समय से ही मनाई जाती है।
वह हमारे आज के दिन के समान होती है
जिसे हम संसार में नये वर्ष के नाम से जानते हैं।
वह वैसे ही मनाया जाता है जैसे हमारे आज के दिन मनाते हैं,
जैसे कि उत्सवजगती मंचन, स्पर्श, संगीत और भोजन।
प्राचीन सभी समाजों में नववर्ष की उत्सव मनाई जाती थी,
जैसे कि रोमन समाज में जानुअरी महीने में मनाई जाने वाली
उत्सव थी। यह उत्सव नववर्ष की तैयारी
में लगभग एक महीने से होता था और इसमें संगीत, नृत्य,
भोजन और स्पर्श आदि की धूम धाम होती थी।
नव वर्ष उत्सव रोचक तथ्य
प्रचीन इतिहास में नव वर्ष की उत्सव के बारे में कुछ रोचक की उत्सव प्राचीन समय से मनाई जाती है। हमारी संस्कृति में नववर्ष की उत्सव के बारे में अधिकांश जानकारी हैंग्रीज संस्कृति से है। हमारी संस्कृति में भी नववर्ष की उत्सव मनाई जाती थी, जैसे कि हिन्दू संस्कृति में नववर्ष का त्यौहार होता है हिंदू कैलेंडर में नवरात्रि का त्यौहार।हिन्दू संस्कृति में नवरात्रि का त्यौहार धर्मिक संबंधों से जुड़ा
होता है और इस त्यौहार
में लोग अपने घरों में धर्मिक उपाय और पूजा-पाठ करते हैं।
इसके अलावा, नवरात्रि में लोग अपने घरों में स्वच्छता
नया साल कब से शुरू हुआ ?
नया साल 1 जनवरी से शुरू होता है। यह हर साल होता है। इसे वर्षांचल के नाम से भी जाना जाता है, जो हिन्दू कैलेंडर में हर साल का पहला माह होता है। हर साल 1 जनवरी से नया साल शुरू होता है और 31 दिसंबर तक चलता है
सबसे प्राचीन तथ्य नव वर्ष के बारे मेंप्राचीन तथ्य नव वर्ष के बारे में है कि यह एक आर्य पंचांग में मौजूद है। यह आर्य पंचांग में वर्ष की आरंभ का तिथि होता है जो आधुनिक समय में मई माह के पहले सप्ताह में होता है। इसके अलावा, नव वर्ष के दिन भी बहुत ही महत्वपूर्ण है, जिसे विभिन्न देशों में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है
पहेली बार न्यू ईयर मनाया गयाविश्व में पहली बार new year मनाया गया था रोम के राजा कौलवस सन् 713 ई.पू. से।
हिन्दू काल में अल्बर्ट सेंटीमार्टिन ने new ईयर मनायापहली बार। यह वही राजा था जो स्थापना हुआ था इंग्लैंड में हिन्दू संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए।
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