कब है मकर संक्रांति 2023?
मकर संक्रांति के दिन किसकी पूजा की जाती है?
इसकी वजह यह है, कि इस दिन सूर्यदेव उत्तरायण होते हैं और देवताओं का दिन आरंभ होता है। मकर संक्रांति पर सूर्यदेव के साथ शनि महाराज की भी पूजा की जाती है
मकर सक्रांति के संबंध में रोचक जानकारी
मकर संक्रांति हिंदू धर्म के अनुयायीं द्वारा माना जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है।
यह सूर्य के संक्रांति के समय मकर राशि में होता है।
यह धर्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है।
यह धर्मीय उपवासों, पूजाओं, धूमधाम और उत्सवों के साथ मनाया जाता है।
इस दिन पूजा के दौरान सूर्य के केंद्र में स्थित होने के कारण इसे सूर्य के संक्रांति के रूप में भी माना जाता है।
यह प्राचीन काल से ही मनाया जाता है और धर्मीय पुस्तकों में भी उल्लेख किया गया है।
यह भारत, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, थाईलैंड जैसी जगहों पर भी मनाया जाता है
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है वैज्ञानिक कारण
मकर संक्रांति का वैज्ञानिक कारण यह है कि इस दिन से सूर्य के उत्तरायण हो.
जाने से प्रकृति में बदलाव शुरू हो जाता है। ठंड की वजह से सिकुड़ते लोगों को सूर्य के उत्तरायण होने से शीत ऋतु से राहत मिलना आरंभ होता है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां के पर्व त्योहार का संबंध काफी कुछ कृषि पर निर्भर करता है। मकर संक्रांति ऐसे समय में आता है जब किसान रबी की फसल लगाकर खरीफ की फसल, धन, मक्का, गन्ना, मूंगफली, उड़द घर ले आते हैं। किसानों का घर अन्न से भर जाता है।
इसलिए मकर संक्रांति पर खरीफ की फसलों से पर्व का आनंद मनाया जाता है।
मकर संक्रांति कौन से राज्य में मनाया जाता है?
मकर संक्रांति कहां मनाया जाता है
मकर संक्रांति (संक्रान्ति) पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है।
वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है
बिहार में मकर संक्रांति को तिल संक्रांत नाम से जानते हैं
इसके अलावा असम में इसे 'माघ- बिहू' और ' भोगाली-बिहू' के नाम से जानते हैं। वहीं तमिलनाडु में तो इस पर्व को चार दिनों तक मनाते हैं।
यहा पहला दिन ' भोगी – पोंगल, दूसरा दिन सूर्य- पोंगल, तीसरा दिन 'मट्टू- पोंगल' और चौथा दिन ' कन्या- पोंगल' के रूप में मनाते हैं
भारत में अलग अलग जगह पर मकर संक्रान्ति को क्या नाम से जाना जाता है
और कैसे मनाया जाता है ये भी जाने
1. बिहार में तिल संक्रांत कहा जाता है बिहार राज्य में भी मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार को यहां तिल संक्रांत या दही चूड़ा के नाम से जाना जाता है. आज के दिन उड़द की दाल, तिल, चावल आदी देने की परंपरा बरसों से चली आ रही है.
2. बंगाल में आज के दिन गंगासागर पर लगता है मेला
बंगाल में आज के दिन गंगासागर पर मेले का आयोजन होता है. इस पर्व पर स्नान करने और तिन दान करने की परंपरा चली आ रही है. पौराणिक कथा के अनुसार यशोदा जी ने श्रीकृष्ण की प्राप्ति के लिए व्रत रखा था. इसी दिन मां गंगा भागीरथ के पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए गंगा सांगर में जाकर मिल गई थी. यही कारण है कि हर साल मकर संक्रांति के दिन गंगा सागर पर भारी भीड़ होती है.
3.उत्तर भारत में इसे मकर संक्रांति कहा जाता है. वहीं तमिलनाडु में इसे पोंगल के नाम से जाना जाता है। असम में इसे माघ बिहू और गुजरात में इसे उत्तरायण कहते हैं. पंजाब और हरियाणा में इस समय नई फसल का स्वागत किया जाता है और लोहड़ी पर्व मनाया जाता है. इस दिन पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व होता है और लोग बेहद आनंद और उल्लास के साथ पतंगबाजी करते हैं. गुजरात में इस दिन पतंगबाजी के बड़े-बड़े आयोजन किए जाते हैं
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