ज़िंदगी को सुनाना और हालात पर थोपना आसान होगा हम दुनिया में ज्यादातर लोग यही कहते हैं. लेकिन इसी दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो हालात को आगे नही बल्कि हालात को अपने आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर देता है
यह एक ऐसे बच्चे की कहानी जिसने अपने दम पर खडे कर दिये बाईस लाख करोड़ की कंपनी जी हां. बाईस लाख करोड़ रुपये तो चलिए शुरू करते हैं. लो जी हां आज भविष्य के बारे में बात करेंगे यह कंपनी भी है हर इंसान और इंसान जिसने अपने दम पर खड़े कि वो कंपनी जिसकी वैल्यू आज तीस बिलियन डॉलर यानी बाईस लाख करोड़ से भी ज्यादा है लेकिन बाईस लाख करोड़ की कंपनी की नीव रखने वाले इंसान के पास बचपन में अपने साथ रखने के लिए अच्छा. नहीं थी ।
दोस्त. लोग कामयाब लोग देखते हैं तो उनकी शोहरत बुलंदी और मरकाम को देखते हैं. लेकिन उस मुकाम तक पहुंचने के लिए वो जिन जिन मुश्किलों से गुज़रता उनके बारे में बहुत कम जानते. आज मैं आपको लूई वीटॉन की कहानी बताने जा रहा और जो आपने आज तक नहीं सुनी होगी चलिए वक्त में थोड़ा पीछे सोच यह बात है उन्नीसवीं शताब्दी के लिए जब एक बच्चा जिसके पास रहने के लिए नाथन था ना खाना खाना उसके पास कुछ था ।
तो सिर्फ एक सपना सपना कामयाबी का सपना शोहरत की बुलंदी गया. अब जिंदा रहने के लिए खाना चाहिए और खाने के लिए पैसे पैसे कमाने के लिए लोई कारीगरों और आर्टिस्टों के साथ काम किया करता था. उसमें पैसे तो सिर्फ नहीं मिलते थे कि वह दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो सके. लेकिन होना उसे वहां वो मिला जिसकी बदौलत उसमें आज एक बिलियन डॉलर की कंपनी खड़ी बचपन ले. जॉन का जन्म चार अगस्त अट्ठारह सौ इक्कीस को फ्रांस की आंच आई कि गरीब परिवार में हुआ उनके पिता किसानी करते थे और मां हथियार टोपियां बनाते थे. ।
ये वो वक्त था जब फ्रांस नेपोलियन के जंगलों की वजह से नुकसान से वाला था लड़ाइयों की वजह से सभी किसानों की हालत खराब हो चुकी थी और वर्तमान परिवार विनिमय से था इसलिए लोई को बचपन से अपने पिता के साथ मजदूरी करने पड़ते थे वो सुबह से शाम तक खेत पर काम करता था जानवर चरा डाटा लकड़ी इकट्ठा करता था ये सब चीजें कोई खास परेशानी. रही थी क्योंकि असली मुसीबत तो अभी आनी बाकी थी जब वह इस दस साल के हुए तो उनके बाद जब उनके पिता ने दूसरी शादी कर लें अब इसे आप उनकी बदकिस्मत बदकिस्मती के हो या खुशकिस्मती पर उनकी सौतेली मां ऐसी थी जैसे आप पिक्चरों में गलन देखते ही को रहा तो सही से खाना देते थे और आए चैन से रह रहे होते थे और लोई कि जिन. जिंदगी को नर्क बना दिया था. ।
लुई ने यह सब कुछ वक्त तक तो सा लेकिन जब सारी हदें पार हो गई रुपए रहा साल की उम्र में वह घर छोड़कर पैसा आ गए. वह पैरिस तो पहुंच गए लेकिन उनके पास आप अखाड़ा था भाई पैसे लेकिन उनके तो वहाँ उन पर थोड़ी मेहरबान हुए और उन्हें एक आर्टिस्ट और कारीगरों के पास नौकरी मिल गई जहां पर उन्होंने मैटल पत्थर फैब्रिक और लकड़ी का काम से क्या इस नौकरी से उन्हें सिर्फ इतने पैसे मिलते थे कि वह अपना पेट भर सके लेकिन रहने के लिए उनके पास छत नहीं. थी वह अपनी रात एक कंबल ओढ़कर लकड़ियों पर गुजारते थे लेकिन अब उनका वक्त बदलने वाला था ।
क्योंकि इंडस्ट्रियल रेगुलेशन के चलते पैर में शुरुआत हुई थी रेल की जिसकी बदौलत ट्रैवल आप बहुत ही आसान हो चुका था लोग प्रेम दिल खोलकर ट्रैवल कर रहे थे लेकिन एक प्रॉब्लम आ रही थी वो थी सामान लेकर जाने की. क्योंकि लोग ट्रेन में पेन्टिंग कपडे और फर्नीचर जैसे सामान लेकर जा रहे थे लोग यह प्रॉब्लम कारीगरों के लिए एक बड़ा मौका थी बडे बडे बॉक्स जैसे बाइक बनाकर उन्होंने से बनाना शुरू कर दिया.।
लोई को अपने लिए एक बड़ा मौका दिखाई दिया वह कई तरह की कारीगरी जानते थे जैसे लकड़ी पत्थर लेकिन उन्हें तलाश तीसरे मोर्चे की हर वो मौका दिया माँस एयर मार्शल ने मौन शेयर में लोई को अपनी दुकान पर कारीगर के तौर पर नौकरी देते हैं वहां पर भी उन्हें पैसे तो कुछ खास. नहीं मिल रहे थे लेकिन कह देना कि हीरा जब तक इसे या नहीं तब तक चमकेगा गया है बस लोहे वहां अपने हुनर के हीरे चमकाने में लगे हुए हैं उनकी मेहनत रंग लाई और जल्द ही व सिर्फ के ज्यादातर प्वाइंट्स के सबसे पसंदीदा बॉक्स में क्या बन गए अभी उनका वक्त अच्छा चल रहा था ।
लिए शहर अब रुकने का नाम नहीं ले रहे थे और. जल्दी में मशहूर हो गए कि फ्रांस की महारानी रहे हैं उन्हें अपना निजी बॉक्स में का बना लिया. लेकिन दोस्तों वह कहते हैं ना कि अच्छे वक्त की बुरी बात यह होती है कि वह बदलता है. शराबी दोनों ही का अच्छा वक्त चल रहा था इसलिए होते और ज्यादा पॉपुलर होते जा रहे हैं एक साल तक महारानी लगाम करने के बाद मोदी ने अपनी दुकान खोलने का फैसला लिया और इस तरह से शुरुआत हुई. ऑन किया जिसे आज हम एलोवेरा नाम से जानते हैं उस वक्त तक सिर्फ लैदर के और बॉक्स बनाए जाते थे जिनके ऊपर का हिस्सा डोम के आकार का होता था जिसकी वजह यह थी कि पानी बॉक्स के नारों के और लगभग को नुकसान न पहुंचे लेकिन यहां परेशानी यह थी कि बॉक्स को एक के ऊपर एक नहीं रख सकते हैं वो ज्यादा जगह लेते थे. दो परेशानियों को लोई के का आइडिया ने खत्म कर दिया. का आइडिया इस इंडस्ट्री में क्रांति से कम नहीं था ।
उन्होंने लैदर की जगह कैनवस का इस्तेमाल करना शुरू किया भी लैदर के मुकाबले हल्का टिकाऊ और सबसे ज्यादा वॉटरप्रूफ था अब इससे बॉक्स को रैगुलर शेप में बनाना शुरू हो गया जिससे लोग उन्हें एक के ऊपर एक रख सकते हैं इसके अलावा वह दिखने में भी शानदार मॉडल लगते थे लोई के. एक आइडिया ने उनकी जिंदगी और मैं उस दो साल के अंदर लोगों के बीच वर्तमान के पैगाम हो चुका था अब लोई बॉक्स के आगे बढ़कर हैंड बैग बनाने का सोचा उस वक्त के लोग लिए किसी सदर से कम नहीं था लोग उन्हें सिर्फ मजबूरी में इस्तेमाल करते थे. लोई को खुद में यकीन था ।
जब कुछ शानदार कर सकते हैं उनके बैग लैदर की तरह कैनवस के होते हैं और उन्होंने इसी का फायदा उठा कैनवस पर नए और एलियन डिजाइन मनाना शुरू कर दिया उनके इस आइडिया ने हैंड बैग को लेकर लोगों की सोच पूरी तरह से बदल दें अब लेडीज में हैंड बैग को अपने कपड़ों के साथ मैच करना शुरू कर दिया सब कुछ सही चल रहा था. लेकिन को आप भी कुछ नया करना बाकी था और उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था ऐसे में उन्होंने अपने बेटे जॉर्ज के पिता की तरह से बैठेगा आइडिया भी किसी चमत्कार से कम नहीं था जॉर्ज ने बॉक्स पर रोक लगाने का आइडिया अपने पिता कर दिया. अभी आप सोच रहे होंगे कि या लगाने गाड़ियां चमत्कारी कैसे हो सकता है पर यही मानव दोस्त और उससे पहले बॉक्स ब्लॉक नहीं होता रहा है जॉर्ज ने लॉक के साथ बैग पर पैटर्न बना दिया जिससे बनाए गए खजाने ही डरावना था. ।
साथ ही इससे चोरी से सामान की हिफाजत होने लगी थी. के बाद ने एक बार फिर से आसमान की ऊंचाइयों को छूना शुरू कर दिया लेकिन हमने आपको बताया था ना कि हमेशा वक्त अच्छा नहीं रहता है और अब वक्त बदल रहा था. ।
फ्रैंक प्रो से आम वॉर की वजह से रेलवे का काम बंद हो गया ना सिर्फ बंद हो गया बल्कि उन्हें घर को छोड़कर वापस शहर जाना पड़ा. लुई एक बार फिर से बेघर हो गए लेकिन इस बार वो अकेले नहीं थे में इस बार उनके साथ उनका परिवार बाकी के रिफ्यूजी के साथ वो एक बेहद तंग जगह बनाने वाले जहां पर उन्हें खाना भी सही से नहीं होगा. जब लड़ाई खत्म हुई तो पूरे परिवार के साथ वापस अपने घर का उनका सारा सामान चोरी हो चुका था
वर्कशॉप बर्बाद हो गई. यूएई ने अपनी सेविंग से अपनी वर्ष को सही की दुकान गए मैच जगह होनी शुरू करते हैं वॉर की वजह से प्रॉपर्टी के रेट काफी नीचे आ गया जिससे हुई को शहर के अंदर दुकान काफी सस्ते रेट में दुकान खोलने के छह महीने के अंदर ही लोहे का सारा काम वापस पटरी पर आ गया लगे उन्होंने काम से वापस पटरी पर लाना था बल्कि. का तेजी से चलाना भी था इसलिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने का सोचा और अपने बैग्स पर पैटर्न प्रिंट करना शुरू कर दिया जिससे वह अपने काम पर से दो कदम आगे निकल गए. इनके इस नए डिजाइन ने मार्केट में धूम मचा दी. अपने देश बल्कि विदेशों से भी आर्डर मिलने लगे है ।
इसे देखते हुए लोई ने अपना एक शॉप लंदन सभी खोल दिया साथ शुरुआत हुई लो वह चौहान के वर्ल्ड वाइड विस्तार किया और उस वक्त वह अकेले ऐसे डिजाइनर थे जिनके प्रोडक्ट अपने देश से लेकर स्वदेशी अमीरों के घरों में पाए जाते थे इसलिए लोई का सामान खरीदना आसान बनाने के लिए अपने. कंपनी का क्या जवाब जारी करने का सोचा वहीं उसी साल उनकी मौत हो गई. मौत की वक्त उनकी उम्र बहत्तर साल थे ।
और आज तक उनकी मौत की वजह किसी को नहीं पता पिता के रोजाना के बाद जॉर्ज ने कंपनी संभाली और होंने अपने पिता की याद में एलवी क्या वह मोनोग्राम जारी किया जिसमें बाद सभी देखते हैं. तो मर गए. उनकी बनाई कंपनियां लक्जरी फैशन की फेहरिस्त में पहले नंबर पर आती है जिसकी मार्केट वैल्यू बाईस लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा है
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