Saturday, January 14, 2023

खुश रहने का सबसे आसान तरीका ।।

दुख एक स्वयं द्वारा पैदा की गई सोच है जो शारीरिक या मानसिक समस्याओं से संबोधित हो सकता है। यह एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया हो सकती है,  अगर हम यह सोचे की हम कभी दुखी न हो तो ये भी सही नही है,
खुश रहने का सबसे आसान तरीका ।।

दुखी होना भी कभी कभी अच्छा हो सकता है क्यों की जब हम दुखी होते है तो हमे पता चलता है की कोई चीज कितनी महत्व रखती है हमारे जीवन में और मजे की बात तो ये है की हम दुख से निकलने का तरीका भी जानते है.


पर कभी कभी हम वो कदम नहीं उठाते क्यों की हम डरते है की कही ऐसा ना हो जाए वैसा न हो जाए ।
मेरे दोस्तो जो होना था वो तो हो गया और जो नही हुआ अगर होना होगा तो होगा ही उसे रोक कौन सकता है.
हां अगर हम कुछ कदम उठाने का साहस करे तो शायद दुख को कुछ काम जरूर कर सकते है ।
तो ऐसा करते क्यू नही क्यों की जिंदगी ने इतना सीखा दिया है की जितना आप अच्छा कर सकते हो उससे बस थोड़ा ओर बेहतर करने की कोशिश करनी है बाकी सब उसपर छोड़ दो ।
पता है अगर कुछ कर के हार भी मिली तो दिल को ये सकूं जरूर रहे गा की किया तो था और जितना कर सकता था उससे ज्यादा किया था.

 
दुख को थोड़ा और बेहतर समझते है 
दुखी होता कौन है हमारी आत्मा या शरीर या मन 
काफी समय तक मैने भी सोचा की आत्मा इतनी शक्तिशाली होती है क्यों की जब वहा किसी में होती है तो हम उसे जिन्दा बोलते है और जब वहा उस प्राणी से निकल जाती है तो उसे मृतक शरीर बोलते है ।
किसी इंसान के अंदर मौजूद आत्मा तो दुखी हो नही सकती क्यों की आत्मा को तो कोई दुखी कर ही नहीं सकता क्यो की दुःख होने के लिए किसी चीज को इस संसार की मोह माया में फसना होगा और आत्मा इस मोहमाया से मुक्त है ।

शरीर केवल एक तरीके से दुखी हो सकता है जब वहा किसी कष्ट में हो हम इसको किसी शारीरिक दर्द या पीड़ा बोल सकते है तब शरीर दुखी हो सकता है और सच कहूं तो केवल यही एक मात्र दुखी होने का कुछ हद तक सही कारण है वरना आज का  विज्ञान इतनी आगे जा चुका है की अगर सही इलाज सही समय पर हो जाए तो बस कुछ दिनों का मेहमान होता हैं शरीरिक कष्ट और मेरा मानना है की हमे शरीरक कष्ट को दूर करने के लिए जितनी जल्दी कदम उठा सकते है उठा लेना चाहिए ।

मन अगर मैं इसे और सही से बोलूं तो मन जैसी कोई चीज ही नहीं बनी है दुनिया में मन का मतलब मस्तिस्क से है जो किसी भी बात को अपने तरीके से समझ कर जैसा हम मानते चले आए है वैसी सोच का विकास हमारे अंदर होता जाता है और हम अपने आप को दुखी मानने लगते है ये स्वाभाविक भी है क्यो की हम इंसान है इंसान ऐसा ही करते है पर मेरा कहें ये है की क्या ये जरूरी है की हमेशा दुखी ही रहा जाए ।
माना कोई बात घाटी और मन दुखी हो गया (हमारी सोच दुखी हो गई) पर जब तक रोना है रोलो पर जब तक ये भी आप को ही निर्णय लेना होगा जिस तरह दुखी होने का खुद से निर्णय लिया वैसे ही शान्त होने का भी आप को ही निर्णय लेना होगा वरना ये दुनिया है कुछ लोग को छोड़ कर बाकी सारे तमाशा देखने के लिए तैयार खड़े है और आप दुखी होकर उनका मानो रंजन कर रहे हो तो ऐसा ही आप ने भी सोचा है की लोगो को मजा दिलाने का तो रोते रहिए 
अब काफी रो चुके आप अब जरूरत नहीं किसी दूसरे के लिए रोने की क्यो की आप की जिंदगी है और इसे खुल के जीना है आप को जिसको जो सोचना है सोचे आप को फर्क नही पड़ना चाहिए क्यो की आप खुद में ही बहुत कुछ हो जरूरत नहीं आप को किसी के सहारे की आप दूसरो का सहारा खुद बनो खुशियां बातो ताकि आप खुशियों से इतने भर जाओ की दुख आने की कोई जगह ही न बचे ।


जब आप किसी को दुवाओं में मांगो और वो न मिले,
तो समझ जाना की किसी और ने आप को खुदा से मागा और उस की दुआ खुदा ने कबूल कर ली ।
कहने का मतलब बस इतना है की जरूरी नहीं की भगवान हमेशा हमारी ही सुने शायद कोई और आप को भगवान से मागा रहा होगा और वो आप को इतने दिल से माग रहा है की आप की माग भगवान को उस दूसरे से कम लगी सो 





साथ उसी का निभाए जो आप को प्यार करे 
न की आप उससे करे 
मेरा मानना है की ज्यादा कदर वही करे गा जो हमे चाहे जरूरी नहीं की हम उसको चाहे और जब इतना प्यार मिले गा तो हम इंसान है कोई पत्थर नही दिल लग ही जाए गा ।

अच्छे रिश्ते

  1. बिना बोले बातो को समझ लेने वाला इंसान
  2. पैसे को उतना ही महत्व देना जितनी होनी चाहिए न काम न बहुत ज्यादा
  3. विश्वाश सबसे जरूरी है और ऐसा केवल ऊपर से दिखावे के लिए नही बल्कि सच में निभाया भी जाना चाहिए
  4. दोनो में जब एक टूटे तो दूसरा उसे संभालने के लिए पूरे मन से खड़ा हो जाए
खुश रहने का सबसे आसान तरीका
  • दूसरों से तुलना न करें: खुश रहने का सबसे आसान तरीका है कि आप खुदकी तुलना दूसरों से करना छोड़ दें. ...
  • खुद को समय दें: खुश रहने के लिए जरूरी है कि आप खुद के साथ थोड़ा समय बिताएं. ...
  • भूलना सीखें: खुश रहने के लिए जरूरी है कि आप दूसरों की कही गई बातों को भूलना सीखें
सच्ची खुशी

सच्ची खुशी मन से खुश होना या चेहरे पर मुस्कान लाना नही होती बल्कि सच्ची खुशी तो आत्मा के खुश होने पर आती है आत्मा तब ही खुश हो सकती है जब उसका मिलन परमात्मा से हो। परमात्मा की प्राप्ति करने के राह पर चलना और परमात्मा को पा लेना ही सच्ची खुशी हैं।

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