Friday, January 20, 2023

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोग्राफी हिंदी ।। चाय वाले से प्रधानमंत्री तक का सफर ।। नरेन्द्र भाई दामोदरदास मोदी

मोदी जी का जीवन बहुत ही साधारण तरीके से शुरू हुआ मगर अपनी देशभक्ति अपने जज्बे और अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने ऐसी सफलता हासिल की. जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था. 



 एक बेहद ही गरीब परिवार में पैदा हुए अपने बचपन के दिनों में जब बच्चे खेलने कूदने में अपना समय व्यतीत करते हैं. तब उन्होंने अपने घर की आर्थिक सहायता के लिए अपने पिता की दुकान में हाथ बताई और ट्रेन के डिब्बों में जाकर चाय बेची लेकिन दोस्तों अगर आपके अंदर अपने देश के लिए कुछ कर जाने की इच्छा होना तो कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं रह जाता. कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो. आइए दोस्तों हम शुरू से मोदी जी के चाय बेचने से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक के अद्भुत सफर को डिटेल में जानते हैं. नरेंद्र मोदी का जन्म सत्रह सितंबर उन्नीस सौ पचास को बॉम्बे राज्य के मेहसाणा जिले में वडनगर नाम के गांव में हुआ था. दोस्तो बता दूं कि बॉम्बे राज्य पहले भारत का ही एक राज्य था. जिसे एक मई उन्नीस सौ साठ में अलग कर गुजरात और महाराष्ट्र बना दिया गया. तो इस तरह अब मोदी जी का जन्मस्थान गुजरात राज्य के अन्तर्गत आता है. नरेंद्र मोदी के पिता का नाम दामोदरदास मूलचंद मोदी था. और मां का नाम हीराबेन मोदी है. जन्म के समय उनका परिवार बहुत गरीब था और वे एक छोटे से कच्चे मकान में रहते थे. नरेंद्र मोदी अपने माता पिता की कुल छः संतानों में तीसरे पुत्र हैं. मोदी के पिता रेलवे स्टेशन पर चाय की एक छोटी सी दुकान चलाते थे. जिसमें नरेंद्र मोदी भी उनका हाथ बंटाते थे. और रेल के डिब्बों में जाकर चाय बेचते थे. लेकिन हां चाय की दुकान संभालने के साथ साथ मोदी पढ़ाई लिखाई का भी पूरा ध्यान रखते थे. मोदी के टीचर बताते हैं कि नरेंद्र पढ़ाई लिखाई में तो एक ठीक ठाक छात्र थे. लेकिन में नाटकों और भाषणों में जम कर हिस्सा लेते थे. और उन्हें खेलकूद में भी बहुत दिलचस्पी थी. उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई वडनगर से पूरी की. सिर्फ तेरह साल की उम्र में नरेंद्र मोदी की सगाई जसोदा बेन चमनलाल के साथ कर दी गई. link:https://youtu.be/p4W78YM1Ua
 और फिर सत्रह साल की उम्र में उनकी शादी हो गई. फाइनेंसियल एक्सप्रेस की एक न्यूज के अनुसार नरेंद्र और जसोदा ने कुछ वर्ष साथ रहकर बिताएं. लेकिन कुछ समय बाद नरेंद्र मोदी की इच्छा से वे दोनों एक दूसरे के लिए अजनबी हो गए. लेकिन नरेंद्र मोदी के जीवन लेखक ऐसा नहीं मानते हैं. उनका मानना है कि उन दोनों की शादी जरूर हुई लेकिन वे दोनों एक साथ कभी नहीं रहे शादी के कुछ वर्षों बाद नरेंद्र मोदी ने घर छोड़ दिया और एक तरह से उनका वैवाहिक जीवन लगभग समाप्त हो गया. नरेंद्र मोदी का मानना है कि एक शादीशुदा के मुकाबले अविवाहित व्यक्ति भ्रष्टाचार के खिलाफ ज्यादा जोरदार तरीके से लड़ सकता है. क्योंकि उसे अपनी पत्नी परिवार और बाल बच्चों की कोई चिंता नहीं रहती. बचपन से ही मोटी में देशभक्ति कूट कूट कर भरी थी. उन्नीस सौ बासठ में जब भारत चीन युद्ध हुआ था. उस समय मोदी रेलवे स्टेशन पर जवानों से भरी ट्रेनों में उनके लिए खाना और चाय लेकर जाते थे. उन्नीस सौ पैंसठ में भारत पाकिस्तान युद्ध के समय भी मोदी ने जवानों की खूब सेवा की थी. उन्नीस सौ इकहत्तर में वे आरएसएस के प्रचारक बन गए. और अपना पूरा समय आरएसएस को देने लगे. वे वहां सुबह पांच बजे उठ जाते और देर रात तक काम करते. प्रचारक होने की वजह से मोदीजी ने गुजरात के अलग अलग जगहों पर जाकर लोगों की समस्याओं को बहुत करीब से समझा. और फिर भारतीय जनता पार्टी का आधार मजबूत करने में इंपॉर्टेंट रोल निभाया. उन्नीस सौ पचहत्तर के आसपास में राजनीति क्षेत्रों में विवाद की वजह से उस समय कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कई राज्यों में आपातकालीन घोषित कर दिया था. और तब आरएसएस जैसी संस्थाओं पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था.
 फिर भी मोदी चोरी छिपे देश की सेवा करते रहे और सरकार की गलत नीतियों का जमकर विरोध किया. उसी समय मोदी जी ने एक किताब भी लिखी थी. जिसका नाम संघर्ष मांग गुजरात था. इस किताब में उन्होंने गुजरात की राजनीति के बारे में चर्चा किया था. उन्होंने आरएसएस के प्रचारक रहते हुए उन्नीस सौ अस्सी में गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पीजी की डिग्री प्राप्त की. आरएसएस ने बेहतरीन काम को देखते हुए उन्हें भाजपा में नियुक्त किया गया. जहां उन्होंने उन्नीस सौ नब्बे में आडवाणी की अयोध्या रथ यात्रा का भव्य आयोजन किया. जिससे भाजपा के सीनियर लीडर्स काफी प्रभावित हुए. आगे भी उनके अद्भुत कार्य की बदौलत भाजपा में उनका महत्व बढ़ता रहा. आखिरकार मोदी की मेहनत रंग लाई और उनकी पार्टी ने गुजरात में उन्नीस सौ पंचानबे के विधानसभा चुनाव में बहुमत में अपनी सरकार बना ली. लेकिन मोदी से कहासुनी होने के बाद शंकर सिंह वाघेला ने पार्टी से रिजाइन दे दिया. उसके बाद केशुभाई पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बना दिया गया. और नरेंद्र मोदी को दिल्ली बुलाकर भाजपा में संगठन के लिए केंद्रीय मंत्री का रिस्पॉन्सिबिलिटी दिया गया. मोदी जी ने इस रिस्पॉन्सिबिलिटी को भी बखूबी निभाया. दो हज़ार एक में केशुभाई पटेल की सेहत बिगड़ने लगी थी. और भाजपा चुनाव में कई सीटें भी हार रही थी. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने अक्टूबर दो हज़ार एक में केशुभाई पटेल की जगह नरेंद्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी. नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री का अपना पहला कार्यकाल सात अक्टूबर दो हज़ार एक से शुरू किया इसके बाद मोदी ने राजकोट विधानसभा चुनाव लड़ा जिसमें उन्होंने कांग्रेस पार्टी के अश्विन मेहता को बड़े अंतर से मात दी. मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए मोदी ने बहुत ही अच्छी तरीके से अपने कार्यों को संभाला. और गुजरात को फिर से मजबूत कर दिया. उन्होंने गांव गांव तक बिजली पहुंचाई. टूरिज्म को बढ़ावा दिया देश में पहली बार किसी राज्य की सभी नदियों को एक साथ जोड़ा गया. जिससे पूरे राज्य में पानी की प्रॉब्लम सॉल्व हो गए. एशिया के सबसे बड़े सोलर पार्क का निर्माण भी गुजरात में हुआ. और इन सबके अलावा थी उन्होंने बहुत सारे अद्भुत कार्य की और देखते ही देखते गुजरात को भारत का सबसे बेहतरीन राज्य बना दिया. और वह खुद गुजरात के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री बन गए. लेकिन उसी बीच मार्च दो हज़ार दो में गुजरात के गोधरा कांड से नरेंद्र मोदी का नाम जोड़ा गया इस कांड के लिए न्यूयॉर्क टाइम्स ने मोदी प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया. और फिर कांग्रेस सहित अनेक विपक्षी दलों ने उनके इस्तीफे की मांग की. दोस्तों गोधरा कांड में सत्ताईस फरवरी दो हज़ार दो को गुजरात के गोधरा नाम के शहर में रेलवे स्टेशन पर साबरमती ट्रेन के एसी कोच में आग लगाए जाने के बाद उनसठ लोगों की मौत हो गई था. जिसके बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे होना शुरू हो गए. और फिर अट्ठाईस फरवरी दो हज़ार दो को गुजरात के कई इलाकों में दंगा बहुत ज्यादा भड़क गया जिसमें बारह सौ से अधिक लोग मारे गए. इसके बाद इस घटना की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय ने विशेष जांच दल बनाई और फिर दिसंबर दो हज़ार दस में जांच दल की रिपोर्ट के आधार पर फैसला सुनाया कि इन दंगों में नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला. नरेंद्र मोदी ने गुजरात में कई ऐसे हिन्दू मंदिरों को भी ध्वस्त करने में थोड़ा सा भी नहीं सोचा जो सरकारी कानून कायदों के मुताबिक नहीं बने थे. हालांकि इसके लिए उन्हें विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों का भी विरोध झेलना पड़ा. लेकिन उन्होंने इसकी थोड़ी सी भी परवाह नहीं की और देश के लिए जो सही था. उसी काम को करते रहे हैं उनके अच्छे डिसीजन और कार्यों की वजह से गुजरात के लोगों ने मोदी को चार बार लगातार अपना मुख्यमंत्री बनाया गुजरात में मोदी की सफलता देखकर बीजेपी के सीनियर नेताओं ने मोदी को दो हज़ार चौदह के लोकसभा चुनाव का प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित. किया जिसके बाद मोदी ने पूरे भारत में बहुत सारी रैलियां कीं और साथ ही साथ उन्होंने सोशल मीडिया का भी भरपूर लाभ उठाया और लाखों लोगों तक अपनी बात रखी. मोदी की अद्भुत विकासशील कार्य उनकी प्रेरणा दायक भाषण देश के लिए उनका प्यार और उनकी सकारात्मक सोच की वजह से उन्हें भारी मात्रा में वोट मिले. भारत की पंद्रह में प्रधानमंत्री बने. दोस्तों नरेंद्र मोदी एक बहुत ही मेहनती व्यक्ति है. वे अट्ठारह घंटे काम करते हैं और कुछ ही घंटे सोते. दोस्तो मोदी जी का कहना है कि कड़ी मेहनत कभी थकान नहीं लाती है. वह तो बस संतोष बाकी है. नरेंद्र मोदी शुद्ध शाकाहारी हैं और नवरात्र के नौ दिन उपवास रखते. वे अपनी सेहत का भरपूर ध्यान रखते हैं. और प्रतिदिन योग करते हैं भले ही वे कहीं पर भी. मोदी जी अपनी मां से बहुत प्यार करते हैं. उनका कहना है कि मेरे पास अपने बाबा दादा की न ही एक पाई है. और ना ही मुझे चाहिए. मेरे पास अगर कुछ है. तो अपनी मां का दिया आश्वासन. 
धन्यवाद 
डरते तो वो हैं जो अपनी छवि के लिए मरते हैं. मैं तो हिन्दुस्तान की छवि के लिए मरता हूँ. और इसीलिए किसी से भी नहीं डरता हूँ. ऐसा कहना है दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगों में शामिल भारत के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का. जिन्हें हमारे देश की राजनीति की वजह से आप प्यार करें या फिर नफरत लेकिन उनके कार्यों को अनदेखा नहीं कर सकते. 


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