Thursday, January 19, 2023

स्टीफन हॉकिंग एक ऐसा नाम है । Stephen Hawking । ♥️🌹

स्टीफन हॉकिंग की ऐसी जिन्दगी जो हमे उत्तेजना से भर देती है ओर कुछ कर दिखाने को प्रेरित करती है तो आइए शुरू करते है ।
मुझे मौत से कोई डर नहीं लगता. लेकिन मुझे मरने की भी कोई जल्दी नहीं है. क्योंकि मरने से पहले जिंदगी में बहुत कुछ करना बाकी है. ऐसा कहना है महान और अद्भुत वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का.
 जिसके शरीर का कोई भी अंग काम नहीं करता. वह चल नहीं सकते. वह बोल नहीं सकते. वह कुछ कर नहीं सकते. लेकिन फिर भी जीना चाहते हैं. 
स्टीफेन का कहना है कि मृत्यु तो निश्चित है. लेकिन जन्म और मृत्यु के बीच कैसे जीना चाहते हैं. वह हम पर निर्भर करता है. चाहे जिंदगी जितनी भी कठिन हो आप हमेशा कुछ न कुछ कर सकते हैं और सफल हो सकते हैं. 
 स्टीफन का जन्म 8 जनवरी 1942 में इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड शहर में हुआ था. 
जब स्टीफन हॉकिंग का जन्म हुआ. उस समय दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था. स्टीफन हॉकिंस के माता पिता लंदन के हाय गेट सिटी में रहते थे. जहां पर अक्सर बमबारी हुआ करती थी. जिसकी वजह से वह अपने पुत्र के जन्म के लिए ऑक्सफोर्ड चले आए. जहां पर सुरक्षित रूप से स्टीफन हॉकिंस का जन्म हो सका. 
बचपन से ही हॉकिंस बहुत ही इंटेलिजेंट थे. उनके पिता डॉक्टर और माँ एक हाउसवाइफ थी. स्टीफन की बुद्धि का परिचय इसी बात से लगाया जा सकता है. कि बचपन में लोग उन्हें आइंस्टीन कहकर कर पुकारते थे. उन्हें  कोडिंग में बहुत दिलचस्पी थी. 
यहां तक कि उन्होंने पुराने इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों से कंप्यूटर बना दिया था. 17 वर्ष की उम्र में उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रवेश ले लिया. ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई के दौरान उन्हें अपने दैनिक कार्यों को करने में थोड़ी दिक्कत आने लगी थी. 
इसके बाद स्टीफन छुट्टियां मनाने के लिए अपने घर पर आए हुए थे. तभी सीढ़ियों से उतरते समय वह बेहोश हो गए. और नीचे गिर गए. शुरू में तो सभी ने कमजोरी मात्र समझकर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. लेकिन बार बार इसी तरह के बहुत से अलग अलग प्रॉब्लम होने के बाद जांच करवाया तो पता चला कि उन्हें कभी न ठीक होने वाली बीमारी है. जिसका नाम न्यूरॉन मोर्टार थीसिस था. 

इस बीमारी में मांसपेशियों को नियंत्रित करने वाली सारी नसें धीरे धीरे काम करना बंद कर देती है. जिससे शरीर अपंग हो जाता है. और पूरे अंग काम करना बंद कर देते हैं. डॉक्टर का कहना था कि स्टेफन अब सिर्फ दो वर्ष और जी सकते हैं. क्योंकि अगले दो सालों में उनका पूरा शरीर धीरे धीरे काम करना बंद कर देगा. स्टीफन को भी इस बात से बड़ा सदमा लगा. 
लेकिन उन्होंने कहा कि मैं ऐसे नहीं मर सकता. मुझे जीवन में बहुत कुछ करना तो अभी बाकी है. स्टीफन ने अपनी बीमारी को दरकिनार कर तुरंत अपने वैज्ञानिक जीवन का सफर शुरू किया. और अपने आप को पूरी तरह विज्ञान को समर्पित कर दिया. 
धीरे धीरे उनकी ख्याति पूरी दुनिया में फैलने लगी. उन्होंने अपनी बीमारी को एक वरदान के रूप में समझ लिया था.
 लेकिन वहीं दूसरी तरफ उनका शरीर भी उनका साथ छूटता चला जा रहा था. धीरे धीरे उनका बायां हिस्सा पूरा काम करना बंद कर दिया. बीमारी बढ़ने पर उन्हें एक वील चेयर का सहारा लेना पड़ा. उनकी ये चीयर एक कंप्यूटर के साथ बनी है. जो उनके सर उनकी आँखों और उनके हाथों की कंपन से पता लगा लेती है कि वह क्या बोलना चाह रहे हैं. धीरे धीरे स्टेफन का पूरा शरीर काम करना बंद कर दिया था. 
लेकिन उस बीमारी में एक प्लस प्वाइंट भी था. कि इस बीमारी से स्टीफन सिर्फ शारीरिक रूप से अपंग हो रहे थे. न की मानसिक रूप से. 
उसके बाद लोग यूं ही देखते चले गए. और हॉकिंग मौत को मात पर मात दे रहे थे. उन्होंने ब्लैक होल का कॉन्सेप्ट और हॉकिंग रेडिएशन का महान विचार दुनिया को दिया. 
उन्होंने अपने विचारों को और सरल भाषा में समझाने के लिए एक किताब लिखी. अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम.
 जिसने दुनिया भर के विज्ञान जगत में तहलका मचा दिया. दोस्तों स्टीफन हॉकिंग एक ऐसा नाम है. जिन्होंने सार्वजनिक रूप से विकलांग होने के बावजूद अपने आत्मविश्वास के बल पर विश्व का सबसे अनूठा वैज्ञानिक बन कर दिखाया है. 
 जो विश्व में न केवल अद्भुत लोगों. बल्कि सामान्य लोगों के लिए प्रेरणा बने हैं. 
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.. 
धन्यवाद.
Mr. Allahabadi

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