जैसे: बारिश की बूंदों का आखों की पलकों से यू टपक जाना की मन करता है की काश ये फिर होजाए.
सच जिन्होंने कभी जिंदगी को समय दिया होगा उन्हें उस अहसास का अनुभव हुआ होगा बाकियों के लिए तो बारिश एक मुसीबत है.
जो लगता है जरूरी नहीं की वो सही हो.
अगर कभी मन करे तो एक 4 या 5 साल के बच्चे से मिलना सैयद जिंदगी दिख जाए क्यू की बच्चो में ऐसी आयु में चालाकी जैसे नामुमकिन जैसे शब्द उस समय तक नहीं बने होते बाद में हमारा सभ्य समाज उनके मन में ऐसे शब्द बना देता है.
अच्छा हो की दिन में जितनी बार हो सके हम बच्चे बन जाए ताकि इस बुद्धिमान लोगो की दुनिया से कुछ समय कटे रहे.
धन्यवाद
विकाश
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